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राम का विजय रथ …………

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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यह संघर्स,
यह होड़,
क्यों ?
जीवन रूपी बृक्ष पर
पुष्पित ,पल्लवित ,फलित –
हो रहा अज्ञान
रोके है
सफलता का द्वार
कुछ पानें नहीं देता
प्रश्न ?
भाग्य का नहीं
कर्म का भी नहीं
अज्ञानता का है
कुण्डी –
अंतस की बंद है
दौड़ रहे हैं बाहर
ऊपर से
सब कुछ –
खो जानें का भय
लुट जाने का भय
कुण्डी –
अंतस की लगी है
दौड़ रहे हैं बाहर |
……………
यह जो केंद्र है
वहां –
आलोक ही आलोक है
अन्याय, अज्ञान, अंधकार –
का प्रतीक रावड़
सारी शक्ति समेत कर भी
नहीं रोक पाता
राम का विजय रथ
जन गन मन का
यथेष्ठ पथ |

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