गहरे पानी पैठ
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सत्ता सत्य की
सुख शांति –
अमरत्व की,
पुष्पित हो ,पल्लवित हो .
दुरभि संधियां, हों –
उपहासित,
सहज, सरल ,निर्मल मन ,
हर मन में –
प्रकाशित .
बुखार उन्माद का-
उत्तर जाये,
अमन चैन ,सौहार्द
प्रश्रय पाए .
और …..
हे !
प्रभु मेरे !!
कलुषित शक्तियां,
अनचाही विपत्तियां,
हों –
हतोत्शाहित,
सत्य –
पञ्च तत्वों में –
प्रवाहित .
.
रे !
मन मेरे !!
खोल दे
अंतस का द्वार
एक होनें दे –
राम, कृष्ण का
संसार .
संयम, सामर्थ का-
होनें दे –
संयोग,
कलुषित बाचालता का
सतत बिरोध .
हर गंगोत्री से
उदय होने दे
एक पावन गंगा,
होनें दे
जन जन का
कल्याण,
कुत्षित कुचालों को
निष्प्राण .
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