Menu
blogid : 19172 postid : 770270

सत्य का जयघोष

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
  • 124 Posts
  • 267 Comments

खुल गया आकाश
पंछी !
उड़ो, विहरो पर लगाकर,
साधना अब क्यों अधूरी !
मत कहो के…
अगम है नभ,
तरे कैसे अनत दूरी ?
हे प्रभा के पुंज !
छोडो हदें,
कुछ व्यापक बनो I
मत डरो,
तुम नित्य हो,
साहस करो,
मंज़िल तरो….
छोड़ दो अस्तित्व का भय,
नहीं होता सत्य का छय I
तुम जियो
इस तरह, जैसे,
सत्व होता-
सत्य मैं लय I
सत्य की फहरे पताका,
सत्य का जयघोष हो,
सत्य स्वांशों में रमा हो,
सत्य जीवन कोष हो I

भोला नाथ पाल
70 ए, कृष्णापुरम
सराय दयानत, इटावा-206001

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh