गहरे पानी पैठ
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झकझोर गया
कल-
तेरा इस तरह आना ,
निढाल हो
बांहों में गिर जाना
हकलाना ,
कुछ न कह पाना .
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ख्वाहिशें तूफानों सी
ठहर गई
कुछ इस तरह ,
अरमानों को
मिल गया हो-
सहारा तेरी पनाहों का .
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रीतियां हैं ,रश्में हैं
वादे हैं . कशमें हैं
बहुत कुछ है मेरे दोस्त
तेरे कूचे में ,
नसीब इतराता है
मेरी मन्नत
तेरे बस में है .
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