कभी कभी मन करता है खूब हसूँ बस यूँ ही, खमोसियों को छोड कर शोर करूँ बस यूँ ही ।
घर से निकलूं बेवजह घूमूँ फिरूँ बस यूँ ही, बंधन सारे तोड कर बनूँ आवारा बस यूँ ही।
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