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मातृत्व

मनोभाव
मनोभाव
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बीत गए हैं वर्षों तब भी
अभी अभी सा लगता है,
जिए जो संग नौ महिने वो
अहसास अभी भी पलता है।

 

 

सबसे पहले स्पर्श तुम्हारा
जन्मा था मेरे अन्तस में,
जीती थी सांसों से उसकी
दो जीवन थे मेरे अन्दर में।

 

 

कोई ये जाने या ना जाने
हम सब से प्यारे संगी थे,
सुन पाया कोई कभी ना
हम नि:शब्द बातें करते थे।

 

 

मातृत्व तो ऐसी शक्ती है
लड़ लेती हर तकलीफ से,
धड़कन से धड़कन सुन के
जोड़े नाता नन्हे जीवन से।

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