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नए वर्ष 2014 में चार और संवत 2071 में पांच ग्रहण लगेंगे। इसमें तीन सूर्य ग्रहण और दो चंद्रग्रहण होंगे। इनमें से केवल अप्रैल में ही दो ग्रहण लग रहे हैं जिसमें 15 को चंद्र व 29 को सूर्यग्रहण लगेगा। हालांकि पांच में से केवल एक ही भारत में दिखेगा पर इन खगोलीय घटनाओं से पूरा विश्व प्रभावित होगा। इस लिहाज से ग्रह नक्षत्रों के गणनाकार नए वर्ष को उथल पुथल वाला मानते हैं।
प्रथम चंद्रग्रहण खग्रास होगा जो चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तद्नुसार मंगलवार 15 अप्रैल 2014 को लगेगा। इसे केवल पूर्वी एशिया, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, अंटार्कटिका,पश्चिमी अफ्रीका तथा पश्चिमी यूरोप में देखा जा सकेगा। भारतीय समय के अनुसार इस ग्रहण का आरंभ रात 11.28 बजे और मोक्ष रात 3.03 मिनट पर होगा। इसी माह में वैशाख कृष्ण अमावस्या यानी 29 अप्रैल मंगलवार को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण लग रहा। भारतीय समयानुसार दक्षिण हिंद महासागर, अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पश्चिम प्रशांत महासागर में सुबह 9.33 बजे से यह दिखेगा और मोक्ष 1.45 बजे होगा।
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तद्नुसार बुधवार आठ अक्टूबर को खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा जो भारत में ग्रस्तोदित खंड चंद्रग्रहण के रूप में दिखेगा। इसे अमेरिका और आस्टे्रलिया में भी देखा जा सकेगा। इसका आरंभ दोपहर 2.45 बजे, मध्य 4.25 और मोक्ष शाम 6.05 पर होगा। कार्तिक कृष्ण अमावस्या गुरुवार 23-14 अक्टूबर को खंड सूर्य ग्रहण लग रहा जो भारत में नहीं दिखेगा। इसे उत्तरी अमेरिका, रूस, मैक्सिको के पूर्वी भाग में रात 1.08 से रात्रि शीर्ष 5.22 तक देखा जा सकेगा।
20 मार्च 2015 (चैत्र कृष्ण अमावस्या) को लगने वाला खग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। यह ग्रीनलैंड, आइसलैंड, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, एशिया के उत्तर पश्चिम भाग में दिखाई देगा। आरंभ दिन में 1.11 बजे व मोक्ष शाम 5.20 पर होगा।
दो ग्रहण का महाभारत काल सा योग
एक वर्ष में चार ग्रहण अनूठा योग है।
हालांकि भारत में केवल एक ही दिख रहा लेकिन खगोलीय घटना कहीं भी होती है, इसका असर पूरे पृथ्वी मंडल पर दिखता है। एक माह में दो ग्रहण महाभारत काल में ही पड़े थे जो अशुभ है।
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