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आगामी 20 नवंबर को बिहार में विधानसभा चुनाव का आखिरी चरण और छठें चरण के मतदान होने हैं. हालांकि पहले के पांच चरणों में कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई लेकिन अंतिम चरण के पहले की घटनाएं काफी हद तक चुनाव आयोग और प्रशासन की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं.
बिहार विधानसभा के छठें चरण का नक्सलियों ने बहिष्कार करने का ऐलान किया है. अपनी बात को पहले ही नक्सली पोस्टर लगा कर और पुलिया उड़ा कर रख चुके हैं. अभी कल 16 नवंबर को ही उन्होंने बिहार के लखीसराय जिले से कुछ लोगों बंधक बनाकर प्रशासन को जता दिया कि वह किस कदर इस चुनाव के खिलाफ हैं.
अजीब लगता है कि जिस विकास की बात नक्सली करते हैं वह उसे ही क्यों बर्बाद करते हैं. सरकार इतनी लागत से पुल आदि का निर्माण करती है लेकिन नक्सली अपनी बात रखने या विरोध करने के लिए पल में ही उस पुल को उड़ा देते हैं.
नक्सलियों ने गया, रोहतास, कैमूर तथा औरंगाबाद जिले के कई गांवों में पोस्टर चिपकाकर चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर रखा है. इसके अलावा मतदान में हिस्सा न लेने की धमकी भी दी गई है. छठें एवं अंतिम चरण में जिन 26 सीटों के लिए मतदान होने हैं उनमें 16 विधानसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित हैं. लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से सभी 26 जिलों को नक्सल प्रभावित घोषित कर व्यापक सुरक्षा इंतजाम कर दिए हैं.
लेकिन आज तक ऐसा बहुत कम हुआ है कि नक्सली कभी प्रशासन के डर से रुके हों. पर इस बार सरकार को जरुर जनता को डर के साये से दूर रखने के लिए कुछ विशेष कदम उठाने होंगे.
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