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Bihar Election 2010
बिहार विधानसभा चुनावों के अंतिम चरण के मतदान जल्द ही होने हैं और ऐसे में एक लंबे अर्से से नक्सलियों और बाहुबलियों के खौफ में जी रही जनता के पास मौका है हालात बदलने का. बिहार के इन हिस्सों में हिंसा और भय का आतंक काफी फैला हुआ है. नेताओं की शक्ल में बाहुबली गुण्डाराज चलाते हैं.
वैसे तो इन क्षेत्रों में कई बाहुबली नेता सक्रिय हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा है ददन सिंह की. डुमराव विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक ददन सिंह उर्फ ‘ददन पहलवान’ पूरे बक्सर जिले में अपने कारनामें से विख्यात हैं. दसवीं पास ददन सिंह का अपने इलाके पर पूरा नियंत्रण है लेकिन वह कभी भी अच्छे कामों के लिए सुर्खियों में नहीं आए. अभी भी नेताजी के खिलाफ चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मामले में बक्सर में केस दर्ज हुआ है. जाति आधारित राजनीति करने वाले ददन सिंह को यादवों का खासा समर्थन प्राप्त है.
वैसे इस चरण के एक और अहम सिपाही होने वाले हैं गुरुआ के विधायक रह चुके रामाधार सिंह के पुत्र अशोक कुमार सिंह. जदयू से चुनाव लड़ रहे अशोक कुमार अपने पिता की सफलता को दुबारा हासिल करना चाहते हैं. अक्टूबर 2005 के चुनाव में अशोक इसी विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और भारी विजय हासिल की थी. शायद इसी वजह से पार्टी उन्हें एक बार फिर आजमाना चाहती हो.
वैसे तो चुनावों के नतीजे के बारे में कोई नहीं जानता, लेकिन सबकी आस यही होगी कि कुछ ऐसा बदलाव आए ताकि अमन चैन बना रहे. वोट की ताकत को नोट के तले झुकने नहीं देना चाहिए तभी विकास की राह आसान होगी.
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