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बिहार विधानसभा चुनाव का छठा और अंतिम चरण कई वजहों से खास बना हुआ है. नक्सलवाद, बाहुबलियों के अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो इस चरण की अहमियत बढ़ाते हैं. इस चरण के सबसे अहम स्थानों में से एक है बक्सर.
बक्सर जो ज्यादातर अपनी सीमाओं के लिए हमेशा विवाद का कारण रहा है वहां इस बार मैदान में दिग्गजों के रिश्तेदारों के बीच वोट की जंग बेहद अहम होने वाली है. बक्सर के सांसद एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह यहां से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर मैदान में हैं लेकिन उनके पिता जगदानंद सिंह रामगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं यानि बाप- बेटे होंगे आमने सामने. अब शायद राजनीति इसे ही कहते हैं जहां कोई अपना नहीं होता और कोई पराया नहीं होता. एक ही परिवार के लोग अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं.
इसके अलावा कई सीटों पर दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं. भाजपा के दिग्गज कैलाशपति मिश्र के भतीजे की पत्नी, दिलमानी देवी भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं, तो बक्सर जिले की डुमरांव विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरिहर सिंह की नातिन प्रतिभा सिंह को चुनावी अख़ाड़े में उतारा है. इन दोनों सीटों पर दिग्गजों के रिश्तेदारों के मैदान में आ जाने से ये सीटें प्रतिष्ठा का विषय बन गई हैं.
इसके साथ ही बक्सर में चुनावी रैलियां भी एक प्रदर्शन की वजह बन गई है. अब वह जमाना गया जब नेताजी पैदल चल कर वोट मांगते थे, अब तो समय है हैलीकॉप्टर से उड़ कर चुनावी दंगल में उतरने की. इस बार हर पार्टी के बड़े नेता और स्टार प्रचारकों के साथ स्थानीय नेता भी हेलीकॉप्टरों से ही अपने प्रचार स्थल तक पहुंच रहे हैं. वैसे इस बार सोनिया गांधी, लालकृष्ण आडवाणी व राहुल गांधी जैसे नेताओं के दौरे को छोड़कर कुल 22 जगहों पर हेलीपैड बनाने की अनुमति प्रदान की जा चुकी है. वैसे नेताओं के इस नए नखरे से सबसे ज्यादा नुकसान है सभा संचालकों का. हेलीपैड, मंच, पंडाल बनाने से लेकर भीड़ जुटाने में उनकी जेब कट रही है.
वैसे हेलीकॉप्टरों से चुनावी सभाएं करने का सबसे ज्यादा फायदा होता है बच्चों को क्योंकि उन्हें फ्री में उड़नखटोला जो देखने को मिल जाता है. अब देखिए आने वाले समय में बक्सर का जंग कौन जीतता है.
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