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तीन चौथाई बहुमत से जेडीयू और भाजपा के गठबंधन को जिता कर बिहार की जनता ने बता दिया कि उन्हें अब सिर्फ विकास ही चाहिए. बिहार विधानसभा चुनावों में अभी तक के घोषित हो चुके नतीजों में 243 में से 145 सीटों पर जीत जेडीयू और भाजपा का गठबंधन काफी आगे है. वहीं दूसरी तरफ लालू और पासवान के गठबंधन को अभी मात्र 15 सीटों पर विजय मिली है.
इतने बडे अंतर से जनमत ने दर्शा दिया कि वह बिहार की गद्दी पर एक ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं जो विकास की गाड़ी को आगे ले जा सके. वह विकास, सुव्यवस्था और सुशासन की सरकार चाहते हैं. गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और अव्यवस्था से पीड़ित बिहार की जनता ने साफ कर दिया कि अब उन्हें कोई जाति या धर्म के नाम पर भटका नही सकता. लालू राज्य में माई नीति के चलते विकास की रफ्तार से पिछड़ रहे इस राज्य ने आखिरकार कुछ गति तो हासिल की ही है.
पहले लोग वोट डालते समय विकास की बात को दरकिनार कर जाति के आधार पर अपना कीमती वोट डाल देते थे लेकिन इस बार उन्होंने उसे चुना जो उन्हें विकास देता हैं. बिहार ने ये साबित कर दिया कि अब वहां जातीय समीकरण नहीं बल्कि विकास और काम को वोट मिलेगा.
भाजपा और जेडीयू गठबंधन को मानिए जीत मिल ही गई और इसके साथ ही अगर किसी को इस जीत का श्रेय जाता है तो वह हैं नीतीश कुमार. बिहार में लालू के 15 साल के शासन के बाद नीतीश ने वहां विकास की ऐसी लहर पैदा की कि उससे इस चुनावों में आरजेडी गठबंधन बह ही गई. नीतीश कुमार ने न सिर्फ विकास दिया बल्कि उन्होंने अपने शासन काल को सुशासन बनाए रखा. चाहे शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास की बात हो या मोदी मामले में भाजपा के खिलाफ कड़ा रुख अदा करने वाले नीतीश की छवि के बारें में सिर्फ एक ही बात कहीं जाती है और वह “सुकुमार” की पदवी.
इतने बड़े अंतर से जीतने के बाद नीतीश एंड पार्टी के सामने चुनौतियां भी आसान नहीं होंगी. अब उन्हें इससे भी तेज गति से बिहार में विकास की लहर फैलानी होगी ताकि जनता में वह अपनी छवि को बरकरार रख पाएं.
बिहार की तस्वीर साफ है, इस बात की पूरी उम्मीद है कि शुक्रवार तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लें. बिहार की जनता को विकास की यह जीत मुबारक हो.
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