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बिहार विधानसभा चुनाव की गिनती से पहले सब कयास लगा रहे थे कि कहीं बिहार की जनता जाति के खेल में तो नहीं घिर जाएगी लेकिन 24 नवंबर की सुबह से शुरु हुई गिनती ने सब साफ कर दिया. कुछ ही देर के नतीजों में नीतीश के गठबंधन को बहुमत से आगे निकाल बिहार की जनता ने दिखा दिया कि वह विकास चाहती है.
बिहार विधानसभा चुनावों की मतगणना के आरंभिक दौर के बाद नीतीश कुमार का गठबंधन स्पष्ट बढ़त बनाता हुआ नज़र आ रहा है. कुल 243 में से 197 सीटों पर जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन आगे है. इससे साफ हो गया कि बिहार के लोगों ने विकास के मुद्दे पर मत देकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गठबंधन को दोबारा चुना है.
तो वहीं अभी तक के परिणामों से लालू और पासवान के गठबंधन को तगड़ा झटका लगता नजर आया है. आरजेडी के गठबंधन को अभी तक मात्र 30 सीटों पर ही बढ़त मिली है. इससे लगता है कहीं बिहार से लालू का सूपड़ा ही साफ न हो जाए. हद तो तब हो गई जब खुद उनकी पत्नी राबड़ी देवी के विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने ही उन्हें नकार दिया. राघोपुर और सोनपुर दोनों ही जगह से राबड़ी देवी इस समय पिछड़ रही हैं.
लालू जैसा हाल कांग्रेस का भी हो रहा है जो अभी तक मात्र 7 ही सीटों पर आगे है. हालांकि पार्टी के मुख्य प्रवक्ता जयंती नटराजन ने नीतीश कुमार को बधाई देते हुए कहा कि बिहार के मतदाताओं ने क़ानून व्यवस्था में हुई बेहतरी का फल उन्हें दिया है.
इस तरह से आने वाली सरकार का चेहरा साफ नजर आता है. जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन वाली सरकार ही शायद आने वाले पांच साल बिहार पर शासन करे और कमान नीतीश के हाथ में हो.
लेकिन सबसे रोचक रहा नामी चेहरों का चुनाव में पीछे रहना. बाहुबलियों से लेकर उनकी पत्नियां तक कोई भी खास कमाल नहीं कर पाया है. लवली आनंद, रंजीता रंजन, सरफराज आलम, अमित कुमार, चौधरी महबूब अली कैसर, सुभाष प्रसाद यादव, अनिरुद्ध प्रसाद (साधु यादव जैसे नामी नेता अभी भी गिनती में पिछड़ रहे हैं और अगर हालात ऐसे रहे तो इनकी हार पक्की है. बिहार की जनता ने इनके विपक्ष में वोट डाल जता दिया कि अब उन्हें सिर्फ और सिर्फ विकास चाहिए.
हालांकि गिनती अभी चालू है और देखते हैं आखिरी नतीजों के बाद सेहरा किसके सर पर सजता है?
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