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धर्मस्थलों को दान और कोरोना से जंग

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जब हम मुसीबत में पड़ते है तो सबसे पहले किसे याद करते है? अपने भगवान को,चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम,वो अपने भगवान को ही याद करेगा ।
लेकिन उनका क्या जो भक्त और भगवान के बीच मेडियेटर का काम करते है।भगवान भी दिल के साफ है और भक्त भी और जो इनमें सबसे बड़ा धोखेबाज है वो है मेडियेटर चाहे वो हिन्दू धर्म के पुजारी हो, मुस्लिम धर्म के मौलाना या क्रिश्चियन धर्म के पादरी।

 

 

इस कॉरोना वायरस जैसी भीषण महामारी में जहां एक ओर लोग घरों में बंद पड़े है और अपने और अपने परिवार वालों के साथ क्वालिटी टाइम✌️✌️ स्पेंड कर रहे है,अपनी कहानियां सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे है,और इस मुसीबत के समय अपने परिवार वालों का भरपूर सहयोग कर रहे है। (सिर्फ अपने परिवार वालों का)।
वहीं दूसरी ओर हमारे समाज के सबसे मेहनती लोग जो पढ़े लिखे लोगो से 10 गुना ज्यादा काम करते है,को आज खाने को दो रोटी नसीब नहीं हो रही, वो अपने ही घर के रास्ते में मारे जा रहे है,जिसके पास पैसे है वो ट्रेन से या बस से अपने घर जा रहे है और जिनके पास पैसे नहीं है वो 700 किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर जाने को मजबूर है लेकिन इसमें भी प्रशासन को दिक्कत है कि कहीं इन गवार,अनपढ़ लोगो के चलते कहीं पढ़े लिखे लोगो को दिक्कत ना हो जाए।वो इनपे लाठियां बरसाते बरसाते परेशान है।

चलिए छोड़िए इन सब बातो को जाने देते है, क्योंकि जब लोगों का मन करेगा तभी वो अपने सोशल मीडिया को छोड़कर मजदूरों की मदद करेंगे,जिस मजदूर के पास पैसे होंगे वो ही अपने घर जा पाएगा बाकी प्रशासन के लाठियां खा कर ही पेट भर लेंगे। पर हम सब लास्ट में उस व्यक्ति से जरूर मदद कि आस लगाते है जिसकी मदद हमने कभी पहले की थी,क्योंकि हमें पूरा विश्वास रहता है कि और कोई चाहे मदद करे या ना करे पर वो जरूर हमारी मदद करेगा। पर अगर वो आपकी तरफ देखे भी ना तो दिल में जो उसके प्रति टीस आती हैं तो वो पूरे जीवन भर रहती है।

 

मै बात कर रहा हूं मंदिर, मस्जिद,चर्च के ट्रस्टों की।
मै मानता हूं कि ऐसा कोई भी आदमी नहीं होगा जिसने कभी चढ़ावा ना चढ़ाया हो चाहे वो कोई भी हों अगर उसने नहीं चढ़ाया होगा तो उसके परिवार के किसी ना किसी सदस्य ने जरूर चढ़ाया होगा। तो हमने जो पैसा चढ़ाया था वो पैसा भगवान ने तो लिया नहीं, तो वो पैसा गया कहा,वो पैसा किसी ना किसी ट्रस्ट में तो जरूर जमा किया गया होगा।तो वो ट्रस्ट आखिर किस दिन के लिए बना है? कोई भी मंदिर,मस्जिद, चर्च या गिरजाघर किस लिए बनते है कही भी पूजा पाठ,इबातात, प्रेयर क्यों होता है? मानव के कल्याण के लिए ही न?

 

लेकिन जब पूरी मानव जाति आज मुसीबत में पड़ी है तो कोई भी ट्रस्ट इनकी मदद को आगे नहीं आ रहा है।आम दिनों में कई ट्रस्टे खोली जाती है उनमें बड़ी संख्या में लोगों को बुलाकर पैसे डलवाए जाते है जो लोग वहां नहीं जा सकते उनको ऑनलाइन सुविधा दी जाती है ताकि वो पैसा डाल सके ,लेकिन आज वो सारी ट्रस्ट गायब है और ट्रस्ट के मालिक अपने घरों में सेल्फ क्वारांटाइन ✌️✌️ के नाम पर अपने अपने घरों में आराम कर रहे है,आज उनको मानव जाति की नहीं पड़ी आज उनको पड़ी है तो सिर्फ अपनी और अपने परिवार की।

 

 

एक रिपोर्ट के अनुसार सिद्धिविनायक मंदिर का सालाना इनकम 50 करोड़ से 125 करोड़ है,शिरडी साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट सालाना 360 करोड़ रुपए कमाती है, दिल्ली के जामा मस्जिद के सिर्फ एक महीने की बिजली बिल 4 करोड़ 16 लाख रुपए है, अगर कैथलिक चर्च ट्रस्ट की बात करे तो वो करीब 7000 करोड़ रुपयों के मालिक है।
अगर इनमें से कोई एक भी मदद के लिए तैयार हो जाए तो सारे बेबस मजदूर अपने घर पहुंच जाएंगे और अपने परिवार और बच्चों से मिल पाएंगे, आखिर ट्रस्ट इतने पैसों का करेगा क्या? अगर ट्रस्ट मालिक की सात पीढ़ियों भी अगर बैठ कर खाएं तब भी पैसा खत्म नहीं होगा लेकिन फिर भी वो मदद के लिए आगे नहीं आ रहे है उल्टा वो मीडिया वाले को बयान दे रहे है कि लोकडाउन के चलते ट्रस्टों को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है ।

 

आखिर कब तक हमारे भगवान इन जैसे लालचियों को माफ करेंगे क्या ये सवाल करने वाला कोई है? नहीं! क्योंकि भगवान से बात करने वाले ठेकेदार तो खुद वहीं है।जो सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल रहे है कि #masti time with family ।

 

 

नोट : इन विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं।

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