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मेरे गाँव का सुदामा

CHANDRASAKHI
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आयी बसंत फूले दिग-दिगंत छाई खुमारी अनंत आम बौराये| मेरे गाँव का सुदामा मन में फूला नहीं समाता है,क्योंकि आज का सुदामा समाजवाद का पोषक है, उस पर समाजवाद का ऐसा नशा चढ़ा हुआ है कि वह बात-बात पर समाजवादी होने का सबूत देता है|वह भी खांटी समाजवादी नेता है, परन्तु बेचारा है फटे हाल| घर भी नहीं है,बाल-बच्चे जैसे-तैसे सरकारी विद्यालय में भर्ती करवा दिए हैं बेचारे वे मद्यान्ह भोजन का सहारा लेकर रोज विद्यालय जाते हैं| अचानक सुदामा को एक दिन एक निमंत्रण पत्र मिल गयाजो उसकी पार्टी के मुखिया कि तरफ से था, वह पूरे गाँव में नाचता फिरा और उसने वह निमंत्रण पत्र मुझे भी दिखाया मैंने उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं की| मैं चुप-चाप उसकी बातें सुनता रहा, मैं कहता भी क्या? ठीक तिलक के दिन वह घिसुआ कि भांति मुखियाजी के यहाँ चला गया,सुदामा तो सुदामा ठहरा उसे क्या मालूम कि वहां खाने पर भी अतिमहत्वपूर्ण लोग बुलाये गए हैं| वह बेचारा वी.आई पी. दरवाजे की ओर गया जहाँ पुलिस का भरी पहरा था| बेचारा फटे हाल ललचाई आँखों से उल्दा की पूड़ी खाने के लिए बेताब था, पर उस समय उसके होश उड़ गए जब एक पोलिस वाले ने उसे अपनी बन्दूक देखकर वहां से भगा दिया, वह गिड़गिड़ाकर मिन्नतें करने लगा,अपना निमंत्रण पत्र भी दिखाया, लेकिन पुलिस वाला नहीं पसीजा,हारकर उसने मुखियाजी का वास्ता दिया, वह फिर भी नहीं पसीजा| सुदामा पुलिस वाले के पैरों पर गिड़गिड़ाकर गिर गया , परन्तु पुलिस वाला न माना और अपनी बन्दुक उसकी ओर तान दी| अब तो सुदामा कृष्णकी याद करकर रोने लगा और वहीँ बैठकर फूट-फूट कर दहाड़ें मारकर रोने लगा| वहां की सजावट तो दुनिया में सबसे अच्छी थी इन्द्रलोक भी उसके सामने शर्मा रहा था| जर्मन से तम्बू मंगाए गए थे,मोहन-भोग,छप्पन-भोग छह रसों का स्वाद कौन नहीं चखना चाहेगा? लेकिन अब बेचारा सुदामा असली समाजवाद समझ चुका था| उसके समाजवाद ने उसे समाधि तक पहुंचा दिया था| अब वह बिना खाए अपना सा मुंह लेकर वापिस घर आ गया और सीधा मेरे पास आकर रोने लगा मैंने उसे सांत्वना दी और समझाया तब उसने बताया की वह तो लोकतंत्र के स्थान पर राज तंत्र है मैंने उसकी हर बात सुनी | अब उसका समाजवाद से मोह भांग हो चुका था, वह खुश होकर गाने लगा और नाचने लगा” ठगिनी क्या नैना दमकावे ? तेरे साधू हाथ नहीं आवे||||| मैं भी हैरान था सुदामा इतना बदल कैसे गया ? आओ हम भी बदलें जय हिन्द बी.के चन्द्रसखी

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