यात्रा
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अब चोर दरवाजे से बस एक परम्परा का निर्वाह करते हुए आता है|
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यह एक तरह से पटाखों की नही बल्कि दिखावे की होड है जिसे बाजार संस्कृति ने विकसित किया है
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कुछ तो तेल महंगा और कुछ बदली रूचियों व अधुनिकता की मार
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इस अवसर पर बच्चों के लिए नये कपडे खरीदना भी उसकी परम्परा का हिस्सा है
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