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दाल में काला या काले में दाल?

मेरे बोल
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घोटाले पर घोटाले.चारा घोटाला,खेल घोटाला,टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला,कोयला घोटाला और जाने क्या-क्या …रक्षा सौदों में भी दलाली या घोटाले की बातें कोई नई नहीं हैं. बीच-बीच में कुछ ऐसी ख़बरें आ जाती हैं जिससे यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि अब हिन्दुस्तान में शायद कोई जगह नहीं बची जहाँ घोटाला नहीं.
बचपन में हम अपने बड़ों से और सेना के सेवानिवृत लोगों के मुंह से सुना करते थे कि हमारे रक्षा प्रतिष्ठानों में देश सेवा के जज्बे और बड़ी ईमानदारी से कार्य होता है.इसमें काफी हद तक सच्चाई भी थी क्योंकि सेना के सम्बन्ध में कोई गलत चर्चा सुनाई भी नहीं देती थी.हमें अपनी सेना पर गर्व होता था. इस गर्व पर सबसे बड़ी चोट बोफोर्स तोप घोटाले ने की. जिसकी गूँज ने देश की राजनीति में भी भूचाल ला दिया.फिर गाहे-बगाहे कुछ और बातें बाहर निकलकर आने लगी. कुछ खुलासे तहलका ने किये.फिर मुम्बई का आदर्श सोसाइटी घोटाला चर्चा में आया. अब तो घोटालों की बाढ़ में सेना पर भी दाग दिखने लगे हैं.कभी-कभी तो ये लगता है कि जो पकड़ में आ गया तो घोटाला, नहीं तो एक सामान्य प्रकिया.
थल सेनाध्यक्ष आजकल खासे चर्चा में हैं.कुछ समय पूर्व उनका जन्मतिथि विवाद चल रहा था ,वो क्यों चलता रहा और फिर कैसे निपटा? बताने की जरूरत नहीं है. उसके बाद उन्होंने कुछ रह्श्योद्घाटन किये.यह पहली बार हो रहा है जब कोई सेनाध्यक्ष उनको सीधे रिश्वत के प्रस्ताव का आरोप लगा रहे हैं.जहाँ आग होती है धुंआ वहीं उठता है इसलिए कुछ तो जरूर होगा.दबी जुबान से ही सही रक्षा मंत्री ने भी उनकी कही बातों को स्वीकार किया है.हालाँकि इस मामले में उसी समय कड़े कदम नहीं उठाया जाना आश्चर्यजनक है.
उसके उपरांत सेनाध्यक्ष का प्रधानमंत्री को लिखा गोपनीय पत्र लीक हो जाना क्या यह सब संयोग से हो रहा है?रक्षा मंत्री और थल सेनाध्यक्ष दोनों ने पत्र लीक करने वाले को देशद्रोही बताया है.तो कौन है ये देशद्रोही? कैसे कोई इतने महत्वपूर्ण गोपनीय पत्र को लीक कर देता है? पिछले कुछ समय से कई और महत्वपूर्ण सूचनाओं के लीक होने की जानकारी मिलती रही है. आखिर कोई तो होगा जो गोपनीय जानकारियों को जानता भी है और लीक करने की हिम्मत भी रखता है? यह हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि ऐसे लोग भी हमारे बीच में हैं जो अपने स्वार्थों के लिए सब कुछ करने को तैयार रहते हैं भले ही उसकी देश को कितनी कीमत चुकानी पड़े.
ये मामला छोटा नहीं है. देश की सुरक्षा और सेना के मनोबल का सवाल है.यहाँ भी राजनीति होने लगी तो देश का क्या होगा?अपने स्वार्थों के लिए देश की सुरक्षा और सम्मान को चोट पहुँचाने वाले इन चन्द लोगों को हम नहीं पहचान पा रहे हैं तो हमारा भविष्य क्या होगा?अभी तो एक गोपनीय पत्र कैसे लीक हुआ है,इसकी जाँच होनी है. क्या पता कोई देशद्रोही गोपनीय और संवेदनशील जानकारियों को देश के दुश्मनों के लिए लीक कर रहा हो?कम से कम अपनी सेना के पाक-साफ होने की उम्मीद तो हम करते ही हैं. वहां भी दलाल? घोटाला? और गोपनीय सूचनाएं लीक?क्या यहाँ भी दुलमुल नीति और अनिर्णय की स्थिति से काम चल जाएगा?

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