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पानी की बोतल और कोन वाली आइसक्रीम

मेरे बोल
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हे आम आदमी! तू आम से खास कब हुआ पता ही नहीं चला.हमारे माननीय गृहमंत्री कह रहे थे की तू 15 रूपये की पानी की बोतल और 20 रूपये की कोन वाली आइसक्रीम खाने को तैयार है . माननीय गृहमंत्री कह रहे हैं,तो झूठ तो हो ही नहीं सकता. जरुर तुझे कहीं न कहीं देखा होगा. बता! सच -सच बता! कि तू कोन वाली आइसक्रीम क्यों खा रहा था? तूने 15 रूपये की बोतल का पानी पीने की जुर्रत कैसे की? ऐसे-कैसे हजम कर जाएगा ये सब? एक तो ये गुनाह किया और दूसरे गेंहूँ-चावल के दामों में एक रुपये की बढ़ोत्तरी का विरोध करता है, नालायक!
सोच! तुझे माननीय मंत्री जी ने ये गुनाह करते हुए कब देखा होगा, कहीं तब तो नहीं जब वो अपने उड़न-खटोले में बैठकर आसमान में उड़ रहे थे, तब तेरा मुन्नू जहाज-जहाज चिल्लाता हुआ बाहर आ गया होगा और उसके हाथ में बोतल हो.पहले ये सोच कि वह बोतल उसके हाथ लगी कैसे? कांच की बोतल होगी तो कोई शराबी फैंक गया होगा पर मुन्नू तो उसे कब का किसी कबाड़ी को बेचकर पचास पैसे की चुस्की खा लेता.उसके नसीब में तो ये भी बहुत बड़ी चीज होती. पर … गृहमंत्री तो कह रहे थे कि तू 15 रूपये की पानी की बोतल और 20 रूपये की कोन वाली आइसक्रीम खाने को तैयार है. कोई बात नहीं? लेकिन तू फिर भी सोच. इतने बड़े आदमी कितना ध्यान रखते हैं तेरा. ऊपर उड़न-खटोले से भी तुझ पे नजर है. तू यही सोच-सोचकर मगन रहा कर और गेहूं-चावल की कीमत बढ़ने का विरोध मत कर.
क्या तू २८ रुपये से अधिक खर्च करने लगा है? पता है तू अब धन्ना सेठ हो गया, धन्ना सेठ. कितने विद्वान और उदार हैं, हमारे देश के योजना आयोग के कर्ता-धर्ता. तुझे धन्ना सेठ बनाकर उन्होंने अपनी टॉयलेट में ३५ लाख रूपये भी लगा दिए. देख! क्या झकास टायलेट बनाया है. तू अगर सोचेगा भी न तो वहां तो तेरी टायलेट उतरने से रही.तुझे पता होना चाहिए कि वहीं पर तेरी खुशहाली और तेरे कल्याण के लिए योजनायें बनती हैं.ये किसी विद्वान ने ही कहा है कि कल्याणकारी सोच और क्रन्तिकारी विचार के लिए उपयुक्त स्थान का बड़ा महत्व है.सो तेरे कल्याण के लिए उपयुक्त जगह का चयन हो चुका है.तू तो बस अपने कल्याण की सोच. ख़बरदार! जो किसी ने उसे शौचालय कहा, वो तो सोचालय है-सोचालय.
ये मंहगाई-मंहगाई क्या करता है रे तू . देख! अगर सरकार कह रही है कि तेरी क्रय शक्ति बढ़ गयी है तो मान ले ना. सरकार गलत नहीं कहती, सरकार कभी गलत नहीं होती. तू ही गलत है. मूर्ख! तेरी क्रय शक्ति बढ़ गयी और तू ही अनजान है. सही कहते हैं गृह मंत्री कहीं न कहीं तुझे जरूर देखा होगा. भला ऐसा कैसे हो सकता है कि तेरी क्रय शक्ति बढ़ गयी और तू कोन वाली आइसक्रीम नहीं खा रहा होगा या बोतल वाला पानी नहीं पी रहा होगा. हर चीज को आजमाकर देखने की तेरी गंदी तो आदत गई नहीं.बड़े लोगों की देखा-देखी में , बस अनजाने में ही आजमाने में फंस गया ना. अच्छा ये बता! २८ रूपये में से २० रूपये की कोन वाली आइसक्रीम खाई तो ८ रूपये में पानी की बोतल कैसे खरीदी? यहाँ पर भी कोई गोलमाल किया होगा तूने. तू सिर्फ गरीबी रेखा से ही ऊपर नहीं आया ,बहुत बेईमान भी हो गया है. और तो और सरकार का विरोध भी करने लगा है.
मान ले, सरकार जो भी करती है तेरी भलाई के लिए ही करती है, इसलिए तेरी भलाई इसी में है कि तू बढी हुई महंगाई का विरोध मत कर.अगर तू अचेत नहीं हुआ है तो सचेत हो जा. अभी तो सिर्फ कोन वाली आइसक्रीम और बोतल वाले पानी की बात कही है. कहीं गृह मंत्री जी ने तुझे कुछ और खाता हुआ पाया तो अच्छा नहीं होगा. इसलिए विरोध छोड़कर सरकार की बात मान ले, और अपनी अमीरी को एन्जॉय कर. हो सकता है कि कल तू २० रूपये में ही धन्ना सेठ घोषित हो जाय, फिर तेरी वाट लग जाएगी.अभी १५ रूपये की पानी की बोतल और २० रूपये की कोन वाली आइसक्रीम बाद में रंगीन पानी की बोतल और काजू वाली आइसक्रीम बन जाएगी. तू ज्यादा सोच विचार मत कर, बस महंगाई का विरोध मत कर. माननीय गृहमंत्री जी और सोचालय वाले हैं न तेरे लिए सोचने वाले.

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