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निरंतर दुर्गति को प्राप्त होती कांग्रेस हरेक मोर्चे पर चारो खाने चित फिर भी समय को समझनें को तैयार नहीं . तीन तलाक बिल को लोक सभा में शायद इस लिए पास होने दिया कि जानती थी कि बिरोध करके भी कुछ नहीं किया जा सकता . वही कांग्रेस राज्य सभा में कमर कस के केकल बिरोध और विरोध पर उतर आयी , यह भी नहीं सोचा कि मुसलमान महिलाएं क्या कहेंगी !
नेता प्रतिपक्ष कितनी खोखली दलील देते नहीं शरमाते कि पति को यदि तीन वर्ष जेल हो जाये गी तो पत्नी ब बच्चों का भरड पोषड कैसे होगा ? जनाब यह तो बताईये कि जब पत्नी तलाक तलाक तलाक कह कर घर से निकल दी जाती है तब भरड़ पोषड कैसे होता है ?यह सब कुछ इस लिए हो रहा है कि पति तलाक तलाक तलाक कहने से पहले दस बार सोचे और रिश्ते की अहमियत को समझे अच्छा भला परिवार टूटने न पाए पति पत्नी को खेती समझने की भूल न करे
पत्नी को समाज में बराबर का दर्जा मिले .
अंतर्दृष्टि छोडो कांग्रेस तो पैर के नीचे भी देखने को तैयार नहीं यह भी कोई बात रही कि तुम एक ही बिल का लोक सभा में समर्थन करोगे और राज्य सभा में बिरोध इसे विवेक की कुंठा नहीं तो क्या कहें यह तो स्वयं विवेक खोने जैसा है .कांग्रेस को चाहिए कि राज्य सभा में भी बिना शर्त बिल का समर्थन करे
बिरोध के लिए बिरोध कोई बात नहीं होती .
राहुल गाँधी द्वारा मंदिरों में जाने से ऐसा लगने लगा था कि वे शायद वास्तब में बदलनें के लिए तैयार हो रहे हैं लेकिन वाह रे राजनीति ! तेरे रंग निराले ,सफ़ेद बाल वह भी सौ जगह से घुंघराले ! दूसरे के हित की बात को गंभीरता से लेने पर पद की गरिमा बढ़ जाती है .
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