Parivartan- Ek Lakshya
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झूठ
निज दामन पकड़ कर
इस तरह रोने लगा ,
झूठ की
सरिता बही
और –
सत्य डांवाडोल है ।
रोज का –
कुत्तों का रोना
लोग कहते
अशुभ होता ,
झूठ फिर भी –
रोज रोता ,
सत्य मीठी नींद सोता ।
जिनके दामन
स्याह अँधेरे
जो उल्लू के लंपट चेरे ,
उनको –
कायनात मिल जाए ?
सत्य कहां फिर
धोख़े खाए ??
झूठ मरा है –
नहीं मारना ,
मरे हुए को
सिर्फ जारना ,
शुभ बेला है
बरना होगा ,
कदम मिला कर
चलना होगा ।
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