Parivartan- Ek Lakshya
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बहाओ
ऐसी बयार,
कि मिटे
अंधविरोध का व्यापार।
टूटे –
तन्द्रा, निद्रा, कुंठा ।
मिटे –
मोह का मकड़जाल,
होने दो –
आशक्ति का पराभव,
प्रेम का पुनर्वास,
उदय हो
अनंत महाकाश,
फैले –
सत्य का विभास ।
मुक्त होना है
अपने ही संकल्पों की
कारा से,
उत्श्रंखल दुराग्रहों से,
चिंतन आवारा से ।
लगने दो –
विकास को पंख
हर्ष नादित हों
दिग्विजित शंख ।
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