मैं भारत हूं मेरे धवल् आँचल में टांके हैं तुमने इतने अनमोल रत्न कि निरख निरख इनकी अतुल्य आभा मुखरित होता है मन ” मेरे हृदय के – सौंदर्य तुम हो “।
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