Parivartan- Ek Lakshya
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जब,
समय खड़ा होता है
सत्य के पक्ष में ,
निष्प्रह
किन्तु –
धर्म के अपनत्व में ।
कलुष की
सूक्ष्म से सूक्ष्म
चाल को ताड़ते,
प्रभा बन
तम को
आमूल संघारते,
तब
एक नहीं
सारे दुर्योधन,
सारे ध्रतराष्ट्र
होते हैं
एक साथ उपहासित,
एक साथ पराजित ।
जब
लड़ा जाता है
कोई महाभारत,
निहत्था कृष्ण
होता है
सदा प्रमाणित ।
किन्तु
बनाकर स्वदर्शन को
अमोघ अस्त्र
रेता है उसने
युग युगान्तर
तमस का गला ।
हे पार्थ !
खींचो-
परिवर्तन की त्वरा
और दो
विद्युत् को गति,
होने दो
समय की
सुखद परिणति।
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