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राष्ट्र भक्ति और असहिष्णुता को लेकर देश मे काफ़ी दिनो से विवाद चल रहा
है! असहिष्णुता शाब्दिक अर्थ कुछ भी हो,परन्तु विवाद यह तब ज़्यादा रंगीन
हो गया जब कुछ चाटुकारिता से सरकारी पारितोष पाने वाले साहित्यकारो ने
अपने सरकारी पदक वापिस करनी की होड लग गई! सहिष्णुता का विलोम असहिष्णुता
पर गर्मागर्म बहस चली कि जब से भा०ज०पा० की सरकार आई असहिष्णुता बढ गई
है! आमिर खान की पत्नी ने तो भारत छोडने का मन बना लिया,वो तो भला हो
आमिर साहब का’सत्य मेव जयते’ का टेली कास्ट उन्हे रोके था! सहिष्णुता का
अर्थ सहनशीलता से है इसका ज़िक्र वो करे जिसने असहनशीलता के कारण पहली
पत्नी को तलाक दे दिया,तो बात गले से नही उतरती !पति-पत्नी के रिश्तों मे
जितनी आवश्यक्ता
सहनशीलता की होती है किसी और मे शायद कम! चलिये छोडिये क्या आज आने वाली
पीढी के आगे इतने नत मस्तक नही हो चुके कि माँ बेटी से नही कह सकती कि
बेटी टाइट ज़ीन्स ,छोटी स्कर्ट,बिकनी मत पहनो या बनियान-टाप मत पहनो इससे
तुमहारे अंग-प्रत्यंग साफ़ चमकते है ,इससे पुरुष वर्ग को वासना का डोज़
मिलेगा,तो माता-पिता सहन शील नही है! रात १२ बजे ब्याय फ़्रेड के साथ
सुन्सान सडक पर फ़िल्म देख कर आते मे शराबी ड्राईवर-क्लीनर का ईमान डोल
जाये तो भी आफ़त ! आखिर घूमने-फ़िरने ,कैन्डल मार्च की आज़ादी हास्ट्ल मे रह
कर पढने वालियों को मिली हुई है!हाँ परिवार मे समाज मे रहने की मर्यादा
सहनशीलता से प्रतिबद्ध है! शायद इसी देश को “भारतवर्ष” कहा गया था,जहाँ
इतनी सहन्शीलता है कि मुसल्मानो ने शासन किया और इसे नाम “हिन्दोस्तान”
दे दिया किसी ने नही कहा असहिष्णुता हो रही है, अंग्रेज़ आए उन्होने इसे
“इन्डिया” बना दिया और हमने “भारतवर्ष” उसकी सभ्यता और संस्कृति को भी
भुला दिया ! यह सब सहिष्णुता का परिचायक है! हमारे वैदिक हिन्दू धर्म मे
सहनशीलता और शास्त्रार्थ की अनुमति है ,जिसके परिणाम स्वरूप ही
बौद्ध,जैन,और सिख धर्म का प्रादुर्भाव हुआ ! आज बेटा -बेटी से कोई समाज
या सस्कार की बात करे तो बच्चे कहते है”इतनी तो मै अपने बाप की भी नही
सुनता/सुनती”तो असहिष्णुता का बीज परिवार से आता है क्योंकि “परिवार ही
नागरिकता की प्रथम पाठ शाला है!”
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