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समर्पण

samanvay
samanvay
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मुझे फ़िक्र अपनी नही,
उनके ज़ज़्बात की है!
काटी जो उनके साथ,
केवल एक रात की है!!
कर दिया सब न्योछावर,
कहानी उस बात की है!!
गर देता उसे मै धोखा ,
होती कहानी घात की है!!
विश्वास की पूँजी लुटा दे,
पर्याय ये आघात की है!!
एक संवेग मे नही बहा,
निष्ठा जल-प्रपात की है!!
दीप आशाओं के जलें,
समर्पण ये प्रभात की है!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा,आगरा-२८२००७

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