samanvay
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नव संम्वत्सर २०७३,नूतन जागृति का उदघोष!
चारो दिशायें भर रही,,मानव मे स्फ़ूर्ती औरजोश!!
खेत-खलिहान मे है, सुवासित सरसों की सुगन्धि,
चैत्र मास की प्रतिपदा,ज्यों कर रही हो यूँ सन्धि!
धन्य हर मानव जिसने,भारत माँ की गोद है पाई,
हरधर्म और जाति”भारत माता की जै”मे मदहोष!!नव संम्वत्सर…..
किस धर्म-ग्रन्थ मे लिखा है,मादरे वतन से बेवफ़ाई,
किन धर्म गुरूओं और उलेमाओं ने,आग है ये लगाई?
जिस माटी मे पले-बढे,जहाँ मिले राम-रहीम से भाई,
मुस्सलसल ईमान न रखे वो नही मुसल्मान जोश!!नव संम्वत्सर …
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