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विकसित भारत और गुजरात चाहिए या आरक्षण के नाम पर बर्बादी!

ब्रज की दुनिया
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मित्रों, एक बार फिर से दो राज्यों के चुनाव सिर पर हैं. इसमें भी गुजरात चुनाव को लेकर उत्सुकता कुछ ज्यादा ही है. ऐसा लग रहा है जैसे चक्रव्यूह में अभिमन्यु को फंसाने की तैयारी चल रही हो. इस युद्ध में एक तरफ तो गुजरात और भारत के गौरव मोदी हैं, वहीँ दूसरी तरफ विपक्ष ही नहीं बल्कि सीधे चीन और पाकिस्तान भी हैं. सवाल उठता है कि क्या गुजरात के लोग विशेषकर हिन्दू गुजरात के गौरव को हराकर चीन-पाकिस्तान को जिताएंगे?


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मित्रों, हमने चीन और पाकिस्तान का नाम इसलिए लिया, क्योंकि डोकलाम विवाद के समय चीन ने भारत सरकार को इसका परिणाम भुगतने की धमकी दी थी. फिर डोकलाम विवाद के समय राहुल चीनी दूतावास में कोई रिश्ते की बात तो करने गए नहीं थे. जहाँ तक पाक का सवाल है तो उसके नापाक मंसूबे किसी से छुपे हुए नहीं हैं. पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा कि भारत में देशहित को सर्वोपरि मानने वाली सरकार हो. पाकिस्तानी पत्रकार टीवी बहसों में खुलेआम कहते रहे हैं कि अगर मोदी तदनुसार हिन्दू राष्ट्रवाद को कमजोर करना है, तो हिन्दुओं में फूट डालनी होगी.


मित्रों, जिस तरह राम-रावण युद्ध में दुनिया के सारे राक्षस एकजुट हो गए थे, वैसे ही गुजरात में भी इस समय एकजुट हो गए हैं. गुजरात चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं है, यह एक प्रयोग है जिसको आजमाया जा रहा है. सवाल उठता है कि क्या हम इस प्रयोग को सफल हो जाने देंगे? प्रश्न उठता है कि बिहार में भाजपा को हरा दिया गया था, मगर परिणाम क्या हुआ? बिहार का विकास पूरी तरह से ठप हो गया और नीतीश कुमार को मन मार कर फिर से भाजपा के साथ जाना पड़ा.


मित्रों, हम मानते हैं कि कुछ गलतियाँ भाजपा से भी हुई हैं. साथ ही व्यवसाय प्रधान राज्य होने के कारण कुछ असर तो जीएसटी का भी पड़ेगा. मित्रों, फिर भी अंत में मैं गुजरातियों से पूछना चाहूँगा कि उनको विकसित भारत और गुजरात चाहिए या आरक्षण के नाम पर बर्बादी चाहिए.


हम जब बचपन में क्रिकेट खेलते थे, तब टॉस के समय सिक्का उछालने के समय हमेशा भारत को ही चुनते थे, भले ही हर बार टॉस हार जाएं. जिस तरह से हमने २०११ और २०१६ में पश्चिम बंगाल, २०१२ में यूपी, २०१५ में बिहार की जनता को सचेत किया था, उसी तरह से गुजरात की जनता को चेताना चाहेंगे कि अगर वो आरक्षण के चक्कर में पड़ेंगे तो गुजरात का भी विकास रुक जाना निश्चित है.


आरक्षण की राजनीति ने पिछले २५-३० सालों में बिहार को कहाँ-से-कहाँ पहुंचा दिया जगजाहिर है. बिहार को आरक्षण ने लालू दिया फिर गुजरात का हार्दिक तो इस मामले में लालू के बेटे से भी ज्यादा तेजस्वी है. जिस तरह लालू कभी बिहार का भला नहीं कर सकते, वैसे ही हार्दिक भी गुजरात का भला नहीं कर सकता. बस लालू की तरह आपको उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करता रहेगा. ये तो अभी से ही होटल से थैली और अटैची भर-भर के रुपया ले जाने लगा है.

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