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2014 के बजट पर भूत का प्रलाप

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मोदी सरकार का 2014 -15 का आम बजट लोकसभा में पेश हो गया।
यह परम्परा रही है, की किसी भी आम बजट के आने के बाद देश एवं विदेश से उस बजट पर सभी अपनी- अपनी प्रतिक्रियाएं देते है। इन प्रतिक्रियाओं का प्रभाव भी होता है- आम जन भी बजट की विशेषताओं और कमियों की बारीकियों से दो -चार हो पता है,साथ ही सरकार को भी अपने बजट की कमजोरियों को जानने का अवशर मिलता है, जिस के द्वारा सरकार जनता के हित में समय – समय पर अपने कार्यक्रमों में संशोधन कर अपने वित्तीय छेत्र को अधिक प्रभावशाली एवं सार्थक रूप देने का प्रयास करती है।

वर्तमान बजट पर प्रतिक्रियों में, आलोचनए एवं समालोचनाऍ लगातार आ रही है। देश का तमाम वर्ग बजट की खुले मन से प्रसंशा कर रहा है । इस बजट से देश का सभी वर्ग लगभग आशावान है। जनसामान्य के विचारों को चैनलों पर सुन कर लगा ,की बजट से लगभग समाज का हर वर्ग संतुस्ट है,और भविष्य में उसे इससे पूरी उम्मीद भी है। स्पस्ट है, हम भविष्य में एक विकास उन्नमुख वित्तीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहे है। 2014 के बजट की भूरि -भूरि प्रसंशा विदेशों से भी आ रही है। विश्व के तमाम विकसित एवं आत्मनिर्भर देशों को भी देश के इस बजट ने आकर्षित किया है। आज ये तमाम देश भारत के साथ नई सम्भानाओ पर सहयोग करने के लिए स्वेम ही पहल कर रहे है। इस सहयोग के आग्रह का भारत स्वागत भी कर रहा है।

इसी के साथ आलोचनाओं का भी दौर चलरहा है। तमाम प्रतिस्पर्धी राजनैतिक दलों की आलोचनाऐ, यद्यपि अब तक कोई विशेष स्थान मीडिया में इन आलोचनाओं का नहीं बन सका है। पिछले 10 वर्षो से शासन कर रही कांग्रेस पार्टी का, आलोचना का सबसे बड़ा अधिकार बनता है। इस सम्बन्ध में कांग्रेस ने सब से पहले व्यक्तब्य इस प्रकार दिया की – बजट की रूप रेखा हमारे द्वारा बनाई गयी है, और बजट हमारी नीतियों पर आधारित है,इस में कुछ भी नया नहीं है।

बहुत ही स्वाभाविक है,की बजट की प्रक्रिया लगभग 6 माह पूर्व से ही शुरू हो जाती है। यह बजट 45 दिनों में तो पूरा नहीं किया जा सकता था। किन्तु समस्त बजट की समीक्छा कर, इस का रूपांतर कर, अपनी प्राथमिकताओं को समावेशित किया जा सकता था। जो वर्तमान सरकार ने कर दिखया। कांग्रेस सरकार पिछले 10 वर्षो से बजट पेश करती आ रही थी। अब इन बजटों पर कुछ भी कहने सुंनने का कोई अर्थ नहीं।
इन बजटों का ही परिणाम है, की जो कांग्रेस पूरे देश में कभी जनादेश का रिकॉर्ड बनती रही थी ,आज मात्र 44 सीटों पर सिमट कर रह गयी।
कांग्रेस को वर्तमान सरकार की ‘नियति ‘ और ‘दृष्टी ‘ को नमन करना चाहिए, जिसके आधार पर उन्होंने आप के ही निस्तेज फॉर्मेट में थोड़ा उलट फेर कर उसे अद्व्तीय बना दिया। वर्तमान सरकार की नियति और दृष्टी का कारण उनका राष्ट्रवादी चरित्र ही है।

कांग्रेस की आलोचनाओं के सन्दर्भ में मूझे अनुपम खेर की एक टिप्पणी याद आती है ” लगता है की विरोधियों ने बजट आने के पूर्व ही अपनी टिप्पणी तैयार कर ली थी। ” यह व्यक्तब्य कई मानों में सही भी प्रतीत होता है, क्योंकि विरोधियोँ की आलोचनाऍ तर्क संगत न हो कर, अनर्गल प्रलाप सी दिखती है।

इस नई सरकार के सामने दुर्भाग्यवस कुछ असमायिक चुनौतियों ने भी जन्म ले लिया है ,जैसे देश में सामान्य से कम वर्षा का प्रकोप, साथ ही इराक का युद्ध। किन्तु मेरे साथ – साथ समस्त देश को भी वर्तमान सरकार में अब पूरा भरोसा हो चला है, की इन विपदाओं से भी देश को वर्तमान सरकार सुरक्छित मार्ग पर लेकर चलते हुए, विकास की ऊंचाई पर ले जा सकेगी।

वर्तमान सरकार का ध्यान मै आकर्षित कराना चाहूँगा – मोदी सरकार में सभी भा, ज ,प के कार्यकर्ताओं को नरेंद्र मोदी का “चरित्र “एवं “दृष्टी” धारण करना ही पड़ेगा। चुनाव में भारी बहुमत के अहंकार के शिकार होने से अपने को बचा कर रखने की भारी चुनौती सभी के सामने है, ताकि राष्ट्र धर्म का पालन सयम एवं धर्म पूर्वक किया जा सके। हमें अपना ध्य्य सदा याद रखना चाहिए – ” सब का साथ , सब का विकास “.

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