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देश को सर्मिन्दा करते “सहज उद्गार “

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बंगला देश में हो रहे एशियाई क्रिकेट कप में पाकिस्तान की जीत से उत्साहित हो, जम्मू कश्मीर का नागरिक छात्र, जो मेरठ के किसी प्राइवेट कालेज का छात्र था,ने अपना “सहज उत्साह” ब्यक्त किया, जो इस हद तक पहूँच गया, कि वे लोग “पाकिस्तान जिंदाबाद “का नारा बुलंद करने लगे। परिणामतः भारत समर्थक छात्रों से उनकी मुठभेड़ हो गयी। पुलिस ने उन पर रास्ट्रद्रोह की धारा लगा दी। यद्यपि कुछ समय बाद यह धारा वापस ले ली गयी। पूरे देश में जागरूक लोग इस विषय पर अपनी – अपनी प्रतिक्रियाए देने लगे, परिणामतः बहस छिड़ गयी – जो छिड़नी ही चाहिए।
कश्मीरी छात्रो का “उत्साह” इतना कि “पाकिस्तान जिंदाबाद ” होने लगा। पर मुझे इस बात पर संतोष है, कि यह उत्साह यहीं तक रहा “हिदुस्तान मुर्दाबाद ” तक नहीं पहुँचा।
जिन छात्रों की हम चर्चा कर रहे है, वे मूल रूप से कश्मीर के निवासी है, जहाँ पर भारत विरोधी गति विधियाँ आम बात है। जहाँ तिरंगा फहराने पर विरोध है, जहाँ राष्ट्रगान पर सहमति नहीं है, जहाँ से हिंदुओं को पलायन करने को विवस किया जाता है , जहाँ पर भारत वर्ष का कोइ विधान वध्यकारी नहीं है,क्योंकी वहाँ पर धारा -370 लागू है।
एसे माहोल से निकले छात्रो का क्या दोष है, कि अपने उत्साह को अपने तरीके से सहज रूप से व्यक्त न कर सकें। उनके इन गतिविधियों पर किसी भी तरह का प्रश्न उठाना, उनके अधिकारों का हनन ही होना चाहिए।
जम्मू कश्मीर के लोग जम्मू कश्मीर के नागरिक है, किन्तु जम्मू कश्मीर भारत के अंग के रूप में भारत वर्ष का एक राज्य है, इस प्रकार वे भारत वर्ष के नागरिक है, इसका उन्हें पूर्ण आभास नहीं हो पाता। इस प्रकार जम्मू कश्मीर, भारत वर्ष और पाकिस्तान के बीच का छेत्र है, जो वैधानिक रूप से भारत का अंग है, और धारा -370 से श्रीजित हो रहा है/ दूसरी ओर,यह सम्प्रदायक भावनाओं से पाकिस्तान से जुड़ा है। आज तक हम उन्हें घर का नहीं, मेहमानखाने का ही अहसास दिला पाये है/ ऐसा लगता है कि, इस मेहमानखाने की मेहमाननवाजी का दस्तूर, धारा -370 है।
इस प्रकार के माहोल की परवरिहस तो इस प्रकार के विवाद पैदा ही करेगी । सहज उत्साह में ही मन के उद्गार निकल पड़े, लेकिन इन सहज उत्साही उद्गार को भारतीय वैधानिकता स्वीकार नहीं कर सकती – इस का अहसास उन्हें हुआ, जब पता चला कि यह धारा -370 का छेत्र नहीं है।
इस घटना ने हमारे सामने यह प्रश्न खड़ा कर दिया है, कि देश का एक अंग ऐसा है, जहा से “सहज उत्साह में ” देश को शर्मशार करने वाले नारे बुलंद होते है, जो हमें- हम से ही शर्मींदा कर देते है। इस सवाल का जवाब हर हाल में हमीं को देना है – आज नहीं तो, कल।

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