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BUDGET 2012-13
प्रणब मुखर्जी जब देश का बजट घोषित कर रहे थे तो बेशक भारत की अधिकतर जनता का ध्यान क्रिकेट के मैदान पर हो जहां सचिन महाशतक की तरफ बढ़ रहे थे लेकिन जैसे ही महाशतक का मोहभंग हुआ और खबरों में बजट फ्लैश आने शुरू हुए तो लोगों के चेहरे पर हैरानी और परेशानी साफ-साफ देखी जा सकती थी.
जोर का झटका धीरे से
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट में आम आदमी को धीरे का झटका जोर से दे दिया. उन्होंने एक तरफ आयकर की सीमा बढ़ाकर राहत देने की कोशिश की, वहीं दूसरी तरफ सर्विस टैक्स बढ़ाकर आम आदमी की जेब पर कैंची चला दी.
चालू खाते का घाटा सकल विकास दर [जीडीपी] का 3.6 प्रतिशत रहेगा. 2012-13 में जीडीपी दर 7.6 प्रतिशत रहेगी. देश के सकल निर्यात में एशिया-आसियान देशों का हिस्सा 2000-01 के 33.3 प्रतिशत से बढ़कर 53.7 प्रतिशत हुआ.
बजट से उद्योग जगत में फैली निराशा
जिस तरह से सरकार ने बजट में उत्पादन शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की घोषणा की है, इससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ना तय है. साथ ही सेवा करों में बढ़ोत्तरी से भी उद्योग जगत को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
लग्जरी कारों पर सीमा शुल्क की दर बढ़ाए जाने से कार बनाने वाली कंपनियां बेहद नाराज हैं.
कुछ नई योजनाएं
12वीं योजना के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर 50 लाख करोड़ रुपये होगा, जिसमें से आधी रकम निजी क्षेत्र से आएगी.
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के तहत 8800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास किया जाएगा.
70 हजार गांवों में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराई गई. ढाई करोड़ खाते चालू होंगे.
राजीव गांधी के नाम पर बचत योजना में 50 हजार रुपये तक के निवेश पर आयकर में रियायत. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 2012-13 के दौरान 30 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी.
बजट के महत्वपूर्ण बिंदु:
-सब्सिडी घटाने पर सरकार का जोर
-पेट्रोल पर सब्सिडी घटाने का संकेत
-सीधे ग्राहक तक पहुंचनी चाहिए सब्सिडी
-सब्सिडी को जीडीपी का 2 फीसदी रखा जाए
-एफडीआई पर आम सहमति की कोशिश
-जीएसटी अगस्त 2012 से लागू होगा
-30,000 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य
-राजीव गांधी इक्विटी योजना लागू होगी
-डीटीसी पर टैक्स का बोझ कम होगा
बजट के विषय में पूरी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: बजट 2012
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