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जब 16 अप्रैल, 1853 को भारत में पहली बार यात्री ट्रेन चलाई गई थी तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) दुनिया के सबसे बड़े रेल नटर्वकों में से एक होगी. परिवहन में भारतीय रेलवे (Indian Railway) ही ऐसा विभाग है जिसके साथ आम से लेकर खास हर किसी के साथ भावनात्मक जुड़ाव है. इसमें कोई शक नहीं है कि यह भारत में करोड़ो लोगों के खासकर मध्यम वर्ग के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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हर बार की तरह इस बार भी लोगों को रेल मंत्री से ढेरों उम्मीदे हैं. रेल बजट (Rail Budget) को लेकर कयासों का बाजार पूरी तरह से गर्म है. भारतीय रेल लगातार घाटे में चल रही है और जब से पवन कुमार बंसल ने रेल मंत्री के रूप में अपना कार्यकाल संभाला है तब से एक बार फिर यात्री किराए में इजाफा होने की पूरी उम्मीद की जा रही है. वैसे इस बार के रेल बजट (Rail Budget) में केवल यात्री किराया ही एकमात्र मुद्दा नहीं है जिस पर लोगों की नजरें पड़ेंगी. किराए के अलावा, रेलवे की आधारभूत संरचना और सुरक्षा पर भी सबकी नजर रहेगी.
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करोड़ो लोगों की उम्मीद भारतीय रेल
लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलाने वाली भारतीय रेल का पूरे देश में 65000 किलोमीटर तक जाल बिछा हुआ है. करीब साढ़े सात हजार से ज्यादा स्टेशन हैं. हर रोज भारतीय रेल करीब चौदह हजार ट्रेनें विभिन्न जगहों से चलाती है. भारतीय रेल के पास चालीस हजार कोच और सवा तीन लाख से ज्यादा वैगन हैं. हर रोज करीब ढाई करोड़ यात्री भारतीय रेल में सफर करते हैं और एक करोड़ टन की माल ढुलाई हर रोज रेल के माध्यम से ही की जाती है. भारतीय रेल 18 राजधानी और करीब 26 शताब्दी ट्रेनें चलाती है. भारतीय रेल के लिए इस पूरी व्यवस्था का संचालन करना एक सबसे बड़ी चुनौती है.
यात्री किराया/ भाड़े पर सबकी नजर
तृणमूल कांग्रेस के यूपीए सरकार से बाहर जाने के बाद कांग्रेस ने अपनी ही पार्टी से पवन कुमार बंसल को रेल मंत्री बनाया. मंत्रालय मिलते ही बंसल ने रेल किराए में 21 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर दी जिससे रेलवे को 6600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय का अनुमान था. आशा यह की जा रही थी कि इस बार रेल किराए में बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी. लेकिन उसके बाद डीजल की कीमतों में 10.80 रुपये से अधिक की वृद्धि की वजह से रेलवे पर 3300 करोड़ रुपये से अधिक का भार बढ़ने की बात कह कर दोबारा किराया और मालभाड़ा बढ़ाए जाने की दलील दी जा रही है.
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नए ट्रेन लाने की परंपरा
हर साल रेल बजट ((Rail Budget) में नए ट्रेन लाए जाने की परंपरा है. इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि कुछ नए ट्रेन यात्रियों को मिलेंगे. पवन कुमार बंसल ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों में जो रेल प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं उन पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
दूर-दराज के इलाकों को मुख्य धारा वाले शहरों के साथ जोड़ने के लिए इस बार कुछ विशेष ट्रेन लाए जाने की उम्मीद की जा रही है.
यात्रियों के लिए सुविधाएं
भारतीय रेल की हालत में सुधार का वादा करने वाली सरकार स्टेशनों के रख-रखाव में हर बार विफल होती आई है. रेल बजट (Rail Budget) में हर बार वर्ल्ड क्लास स्टेशनों की बात तो कही गई लेकिन उस पर कभी अमल नहीं हुआ. इस तरह की घोषणाएं सिर्फ संसद में मेजों को थपथपाने के ही काम आईं. रख-रखाव के नाम पर यहां बेतहाशा गंदगी का अंबार है. जगह-जगह खुले में शौच करते लोग रेलवे की हालत को बयां करते हैं. लेकिन चुनाव को देखते हुए इस बार रेल सफर को सुहावना बनाने के लिए रेल मंत्रालय यात्री सुविधाओं पर ध्यान दे सकता है.
यात्री सुरक्षा
सुरक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर रेलवे पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. भारतीय रेल के अंदर लगातार बढ़ रहे अपराधों के मद्देनजर उम्मीद है कि इस बार के रेल बजट (Rail Budget) में इसकी सुरक्षा पर न सिर्फ कोरे वायदे किए जाएंगे बल्कि इनको हकीकत में तब्दील किया जाएगा.
अभी तक तो महिलाओं को इस बात की हमेशा चिंता हमेशा रही है कि रेल में महिलाओं की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. आए दिन छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आती हैं. इसके बाद भी महिला कोच में कोई सुरक्षाकर्मी नहीं होता है. भारतीय रेल की सुरक्षा का जिम्मा रेलवे सुरक्षा बल के जिम्मे है. फिलहाल इस बल के तहत करीब 65 हजार कर्मी हैं. इसके अलावा जिस राज्य में से ट्रेन गुजरती है उसकी पुलिस भी ट्रेन के अंदर चेकिंग का काम संभालती है.
रेल फूड
भारतीय रेल में परोसे जाने वाले भोजन की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है. हर कोई इस बार उम्मीद कर रहा है रेल मंत्रालय इस ओर जरूर ध्यान देगा. इस साल उम्मीद यह भी की जा रही है कि इस क्षेत्र में सरकार नए तरह के टेंडर लेकर आएगी. इसके अलावा तत्काल टिकट को लेकर हो रही अनियमितताओं पर भी मंत्रालय की नजर रहेगी.
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