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नेता और संत अक्सर काले धन के मुद्दे पर आंदोलन करते दिख जाते हैं पर यही नेता और संत हजारों-लाखों रुपयों के नोटों की माला पहनने में कोई परहेज नहीं करते. आरबीआई के ‘स्वच्छ और साफ नोटों’ की नीति की बात करें तो नोटों की माला पहनना या पहनाना मान्य नहीं है. शादी हो, पूजा, कोई रैली या महोत्सव, रुपयों की माला के बिना शायद ही कोई भारतीय पर्व पूरा होता हो. नोटों के इस गलत प्रयोग को हमारी संस्कृति में शगुन माना जाता है पर ‘मुद्रा-माला’ की यह संस्कृति इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा प्रतीत हो रही है.
आरबीआई के बार-बार अपील करने के बावजूद सामाजिक और सार्वजनिक जगहों पर रुपयों की बनी माला का प्रयोग बदस्तूर जारी है. यह अपील पहले भी कई बार की जा चुकी है. इस बार अपनी मौद्रिक नीति जारी करने से पहले ही आरबीआई के नए गवर्नर रघुराम राजन ने इस दिशा में पहल की है. आरबीआई ने जनता से अपील की है कि ‘भारतीय नोटों का इस्तेमाल शादी में माला के रूप में, पूजा स्थलों या पंडाल सजाने या नेताओं पर धनवर्षा आदि रूप में न करें. उनका कहना है कि इस तरह हम नोटों का जीवन छोटा कर देते हैं. मतलब जो नोट दस साल चलते वे इस तरह बस 5 साल ही चल पाते हैं’.
भारत में नोटों की धनवर्षा या माला बनाने की प्रथा बहुत ही पुरानी है. इसे समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. नोटों की माला पहनाकर या नोटों की वर्षा कर व्यक्ति विशेष को ज्यादा सम्मान और निष्ठा दिखाने की कोशिश की जाती है. उत्तर भारत में इसका प्रचलन कुछ ज्यादा ही है. लेकिन नोटों की माला बनने से नोट खराब हो जाते हैं और इनका जीवन कम हो जाता है. नोट कोई सजावटी वस्तु नहीं है. इनकी माला बनाकर चाहे हम किसी को भी पहनाएं लेकिन एक प्रकार से यह देश की मुद्रा का अपमान है जो इस तरह बहुत जल्द खराब भी हो जाता है. इसे दुबारा छापने के लिए सरकार को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है. यही कारण है कि नोट पर नत्थी (स्टेपल) लगाने की परंपरा बंद कर दी गई क्योंकि इससे नोटों के फटने की संभाना बढ़ जाती थी. पहले भी आरबीआई ने लोगों अपील की थी कि नोट पर पिन की नत्थी (स्टेपल) न की जाए. इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने आम जनता को नोटों को हैंडल करने के तरीकों की जानकारी देने के लिए शिविरों के आयोजन भी किया था. साथ ही कई लघु फिल्में भी दूरदर्शन पर दिखाई थी.
रिजर्व बैंक लगातार लोगों के मन में इस अच्छी आदत को बिठाने की कोशिश कर रही है ताकि अच्छी गुणवत्ता वाले नोटों को प्रोत्साहन मिल सके. करंसी नोटों के ऐसे दुरुपयोग की जांच या इसे रोकने के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत या भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 के तहत कोई विशेष प्रावधान नहीं है. इसिलए रिजर्व बैंक जनता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है. अब देखना यह है कि आरबीआई की यह अपील इस बार कितना प्रभावी साबित होती है.
Ban Use of Currency Notes for Garlands in Hindi
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