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बजट संवाद – क्या होगा रब जाने !

अर्थ विमर्श
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महंगाई आसमान छू रही है, तेल की कीमतें बढ़ती चली जा रही हैं, प्याज से ज़्यादा उसकी कीमते रुला रही हैं, आम आदमी परेशान है क्योंकि महंगाई बलवान है.

आर्थिक रूप से देश में हालात सही नहीं चल रहे हैं, दिन प्रति-दिन महत्वपूर्ण वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति की दरों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. एक समय 21 हज़ार के आंकड़े को पार कर चुका सेंसेक्स आज 18 हज़ार के नीचे आ चुका है. सरकार के वादे धरे के धरे रह गए हैं और अगर जल्द ही कुछ उपाय न किए गए तो देश को वित्तीय संकट से गुजरना पड़ सकता है.

कुछ ही दिनों में 2011-12 का वित्तीय बजट आने वाला है. महंगाई के मद्देनजर सभी का ध्यान इस बजट पर होगा क्योंकि, बजट के अनुरूप सरकार द्वारा पेश किए गए कदम देश की आर्थिक व्यवस्था की दिशा निर्धारित कर सकते हैं.

मिल सकती है आयकर में छूट

आशा है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी महंगाई से जूझ रही जनता को आयकर में 20 हज़ार रुपये की छूट की सौगात दे सकते हैं या फिर वह निवेश में छूट की सीमा भी बढ़ा सकते हैं.

कैसा हो सकता है इस वर्ष का बजट

• आयकर छूट की सीमा में 20 हजार रुपये की वृद्धि हो सकती है.
• निवेश पर मिलने वाली छूट की सीमा बढ़ सकती है.
• करदाताओं को राहत मिल सकती है.
• कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, आम जनता पर आधारित हो सकता है बजट.

पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 17.05 फीसदी हो गयी. महंगाई के चलते खाद्य की मांग में भी कमी आई है साथ ही खाद्यान्नों की आपूर्ति में भी कमी आई है. लेकिन अगर आयकर में छूट मिलती है या फिर निवेश की सीमा बढ़ाई जाती है तो इसका प्रत्यक्ष रूप से असर आर्थिक व्यवस्था पर पड़ेगा. अगर लोगों को छूट मिली तो उनके पास निवेश या खर्च करने के लिए अधिक धन होगा जिससे खाद्यान्नों की मांग बढ़ेगी, मांग बढ़ने से बाज़ार में अधिक धन मौजूद हो पाएगा और उस धन को विकास कार्यों में लगाया जा सकेगा. इसके अलावा मांग बढ़ने से आपूर्ति बढ़ेगी जिससे महंगाई कम होगी जिससे मुद्रास्फीति की दर भी कम होगी.

बजट और चुनाव

कुछ समय पश्चात पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के घटक दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. अतः चुनावों के मद्देनजर इस बजट में आम आदमी को लुभाने का प्रावधान ज़रुर होगा.

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