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भारत में दो प्रमुख शेयर बाजार सूचकांक हैं बॉंबे स्टॉक एक्सचेंज या बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज या एनएसई. बीएसई जहां मुंबई में स्थित है और भारत की सबसे पुरानी सूचकांक प्रणाली है, वहीं एनएसई बीएसई के बाद बना और यह दिल्ली में स्थित है. भारतीय शेयर बाजार इन्हीं दो सूचकांकों के आधार पर चलता है. निफ्टी एनएसई के अंतर्गत आने वाला सूचकांक है.
निफ्टी और एनएसई
निफ्टी के अंतर्गत 50 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. यह इंडिया इंडेक्स सर्विसेस एंड प्रोडक्ट्स लिमिटेड के अंतर्गत आने वाला सूचकांक है. इंडिया इंडेक्स सर्विसेस एंड प्रोडक्ट लिमिटेड (IISL) एनएसई तथा क्रिसिल (NSE and CRISIL – Credit Rating and Information Services of India Ltd) का संयुक्त उद्यम है. आईआईएसएल (IISL) सूचकांकों पर आधारित भारत की पहली कंपनी है. इसे अमेरिका की एस एंड पी (Standard & Poor’s) कंपनी से मार्केटिंग और लाइसेंसिंग का अधिकार मिला हुआ है. निफ्टी को निफ्टी सीएनएक्स या निफ्टी 50 भी कहते हैं. निफ्टी सीएनएक्स का अर्थ है क्रिसिल एनएसई सूचकांक (CRISIL NSE Index). निफ्टी भारतीय अर्थव्यवस्था के 22 सेक्टरों का सूचकांक बताता है. सितंबर 2012 तक यह एनएसई में सूचीबद्ध लगभग 67 प्रतिशत स्टॉक की मार्केट कैपिटल की जानकारी देता है.
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बीएसई और सेंसेक्स
बीएसई जैसा कि ऊपर ही बताया गया है बॉंबे (मुंबई) स्टॉक एक्सचेंज है. यह भारत की सबसे पुरानी सूचकांक प्रणाली है. इसके अंतर्गत 30 कंपनियां सूचीबद्ध हैं. सेंसेक्स बीएसई के अंतर्गत आनेवाला संवेदी सूचकांक है तथा यह बीएसई में सूचीबद्ध 30 कंपनियों के कैपिटल में आए उतार चढ़ाव को प्रदर्शित करता है.
निफ्टी और सेंसेक्स में अंतर
निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही संवेदी सूचकांक हैं. दोनों में फर्क बस इतना है कि निफ्टी जहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का हिस्सा है, वहीं सेंसेक्स बॉंबे स्टॉक एक्सचेंज का हिस्सा है. इसके अलावे दोनों में एक बड़ा अंतर यह भी है कि जहां बीएसई के अंदर मात्र 30 कंपनियां सूचीबद्ध हैं, वहीं सेंसेक्स के अंतर्गत 50 कंपनियां. इसलिए निफ्टी शेयर बाजार के लिए ज्यादा विश्वासपरक साबित होती है क्योंकि जाहिर है कि 30 कंपनियों के मुकाबले 50 कंपनियों के कैपिटलाइजेशन का आंकलन बाजार की ज्यादा वास्तविक स्थिति दिखाएगा. पर अंत में दोनों ही संवेदी सूचकांकों का वास्तविक मकसद शेयर बाजार की स्थिति बताना ही है.
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बाजार और संवेदी सूचकांक
यहां यह तो साफ है कि निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही संवेदी सूचकांक हैं जो इसके अंतर्गत सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के उतार चढ़ाव का आंकलन करते हुए शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति बताते हैं. शेयर बाजार की यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है. इसी के आधार पर निवेशक बाजार में निवेश की अपनी योजनाएं तय करते हैं. खासकर छोटे निवेशकों के लिए शेयर बाजार का सूचकांक उनके निवेश की पूंजी की दिशा तय करता है. शेयर बाजार के बढ़ते-घटते सूचकांकों के आधार पर ही वे तय करते हैं कि उन्हें किस कंपनी के शेयर खरीदने हैं या कहां निवेश करना है या निवेश करना है कितनी राशि निवेश करनी है. इसी प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को भी ये सूचकांक बहुत हद तक प्रभावित करते हैं. शेयर बाजार में सूचकांकों का लगातार गिरना जहां किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता, वहीं शेयर बाजार में निरंतर उछाल देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का द्योतक होता है. इससे निवेश की संभावनाएं बढ़ती हैं, जो अंत में देश की अर्थव्यवस्था को कई प्रकार से मजबूती प्रदान करता है.
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