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किसी भी देश की मौद्रिक नीति उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार की विकास की रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कहा जा सकता है. देश का यह केंद्रीय बैंक जो भारतीय मुद्रा (रुपया) के संबंध में भारत की मौद्रिक नीतियां बनाने के लिए जिम्मेदार है 1935 में 5 करोड़ शेयर पूंजी के साथ स्थापित किया गया था. तब शेयर पूंजी 100 रुपए के शेयर में विभाजित था जो पूरी तरह शुरुआत में निजी शेयरधारकों के स्वामित्व में था. वर्ष 1949 में भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. बैंक का सामान्य अधीक्षण का कार्य 21 सदस्यों के निदेशक बोर्ड को सौंपा गया जिसमें राज्यपाल, चार डिप्टी गवर्नर, वित्त मंत्रालय, भारत की अर्थव्यवस्था से दस सरकारी अधिकारी और चार निदेशक जो मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली के मुख्यालय का प्रतिनिधित्व करते हैं शामिल किए गए.
क्यों महत्वपूर्ण है भारतीय रिजर्व बैंक
1934 के भारत अधिनियम के तहत रिजर्व बैंक को एक केंद्रीय बैंक के तौर पर सभी महत्वपूर्ण कार्य सौंपे गए जो इस प्रकार है:
बैंक ऑफ इशू: सभी मूल्य वर्ग के बैंक नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास है. एक रुपए के नोट और पूरे देश में सिक्के-छोटे सिक्कों का वितरण भी सरकार के एजेंट के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ही किया जाता है.
मॉनेटरी अथॉरिटी (बैंकर्स टू गवर्नमेंट): भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सरकार के लिए बैंकर, एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करना है. जम्मू-कश्मीर को छोड़कर आरबीआई केन्द्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के एजेंट के रूप में कार्य करती है. संघ और राज्य दोनों जगहों में नए ऋण फ्लोट करने तथा सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक सरकार की मदद करता है. यह सभी मौद्रिक नीति निर्माण तथा बैंकिंग मामलों में सरकार के सलाहकार के रूप में कार्य करता है.
वित्तीय प्रणाली की नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में: आरबीआई अन्य बैंको के परिचालन के लिए मानदंड भी तय करती है. इसके साथ बैंकों के निरीक्षण का कार्य भी आरबीआई के पास ही है. बैंक नियम का पालन कर रहे हैं तय मानकों की अनदेखी कर रहे हैं आरबीआई यह भी सुनिश्चित करती है. आरबीआई का मुख्य उद्देश्य जनता का प्रणाली में विश्वास बनाये रखना, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और लागत प्रभावी बैंकिंग प्रदान करना है. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक आपूर्ति को भी नियंत्रित करता है और सकल घरेलू उत्पाद की तरह आर्थिक संकेतकों पर भी नजर रखता है. इसके अलावा रुपए तथा सिक्कों का डिजाइन तैयार करना भी आरबीआई के कार्यों के अंतर्गत ही आता है.
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