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आपकी गाढ़ी कमाई का एक छोटा हिस्सा जो आपको टैक्स पर कुर्बान कर देना पड़ता है, शायद इसे देना आपको दुखी करता होगा. टैक्स अदा करना शायद कई लोगों को यह आपकी निजी कमाई को बर्बाद करना लगता होगा. वे सोचते हैं अगर टैक्स न भी भरें तो इससे फर्क क्या पड़ता है. किसी को पता नहीं चलेगा और यह सोचकर टैक्स की चोरी कर लेते हैं. कई लोग ये सोचते हैं कि नेता हमारा टैक्स खाकर अमीर होते जा रहे हैं तो हम अपनी मेहनत की कमाई उनके अकाउंट में क्यों भरें. अगर ऐसा है तो आपका यह जानना बहुत जरूरी है कि सरकार हमारे जमा किए टैक्स का क्या करती है. वह इसे अपनी सुविधा के लिए खर्च करती है या हमारी ही अर्थव्यवस्था और जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए उपयोग करती है.
टैक्स भरने का उद्देश्य
देश के प्रबंधन के लिए सरकार को एक अच्छे और स्थिर वित्तीय संसाधन की जरूरत होती है. ऐसे में घरेलू कर ही सरकार को राजस्व(रिवेन्यू) प्रदान करते हैं. आपका कर एक अर्जित खजाने की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसके बिना, आम नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाना संभव नहीं हो सकता. सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, मुफ्त प्राथमिक शिक्षा, सरकारी आवास, और कई अन्य सामाजिक सेवाओं का समर्थन करने के लिए राजस्व का उपयोग करती है. इसके अलावा इसी पैसे से सरकारी कर्मचारियों को वेतन भुगतान भी किया जाता है. सरकार के दैनिक परिचालन खर्च के लिए भी यह उपयोग में लाया जाता है.
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टैक्स के प्रकार
आय कर, पेरोल कर, बिक्री कर, आबकारी कर, धन कर आदि कई रूपों में टैक्स या कर अदा की जाती है. सरकार एक व्यक्ति की आय को पांच अलग-अलग श्रेणियों में रखती है:
इसलिए आप अपना व्यवसाय चला रहे हों या नौकरीपेशा सरकारी या निजी कंपनी के कर्मचारी हों, आपको कर का भुगतान किसी न किसी रूप में करना होता है.
आबादी की दृष्टि से भारत जितना बड़ा है उसके मुकाबले कर का भुगतान बहुत कम होता है. विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केवल 2 से 3 प्रतिशत भारतीय किसी भी आय कर का भुगतान करते है. वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के अनुसार दिसम्बर में आबादी के 2.89 प्रतिशत (लगभग 36 लाख) लोगों ने ही आय कर फाइल की है. इसके कई कारण हो सकते हैं. एक महत्वपूर्ण कारण भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से का प्रति व्यक्ति आय टैक्स अदा करने की सीमा में नहीं आना है. इसके अलावे वर्तमान भारत की विशाल ग्रामीण और भूमिगत अर्थव्यवस्था भी इसका बड़ा कारण है. सभी कर प्रणालियों की जटिल, उलझाने वाली प्रक्रिया भी कई बार टैक्स अदा न करने का कारण बन जाती है.
हालांकि, वर्ष 2012-2013 में बजट की शर्तों के तहत सरलीकरण के प्रयोजनों के लिए 2 लाख की आय पर कर भुगतान की छूट दी गई है. 2 लाख से 5 लाख के बीच की आय वालों को 2013-2014 के बजट में 2000 रु. की छूट दी गई है.
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टैक्स की चोरी न करना भारतीय अर्थव्यस्था को मजबूती प्रदान कर सकता है. टैक्स की चोरी या बकाया कर से देश के राजस्व के नुकसान का एक निश्चित आंकड़ा पता करना मुश्किल है. पर आपकी भागीदारी कहीं न कहीं आपको ही लाभ पहुंचाती है. इसलिए टैक्स अदा करना आपकी मेहनत की कमाई की बर्बादी नहीं है बल्कि यह आपके सामाजिक जीवन को सरल बनाने का एक तरीका है. जिस तरह हर माह विभिन्न मदों पर खर्च के लिए आप अपने वेतन का हिस्सा तय करते हैं उसी तरह अपनी सामाजिक सुविधा पर खर्च के लिए आप सालाना अपनी आय का यह हिस्सा सरकार को देते हैं क्योंकि आप इसमें प्रत्यक्ष रूप से न जुड़कर अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं.
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