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अपनी विलासितापूर्ण लाइफस्टाइल के लिए मशहूर यूबी ग्रुप के मालिक विजय माल्या का जितना नाम उनके बिजनेस स्टाइल के लिए है उससे ज्यादा चर्चा में उनकी पार्टियों और ग्लैमरस लाइफस्टाइल की होती है. किंगफिशर का स्लोगन ‘दी किंग ऑफ गुड टाइम्स (The King of the Good Times)’ वास्तव में उनकी जिंदगी से जुड़ा रहा है और विजय माल्या कभी भी अच्छे समय का मुहताज नहीं रहा. एशिया के सबसे स्टाइलिश सीईओ माने जाने वाले विजय माल्या आज दिवालिया होने के कगार पर माने जा रहे हैं. 2012 में फर्स्ट पोस्ट पत्रिका ने उन्हें इंडिया का सबसे खराब बिजनेसमैन माना लेकिन इसके बावजूद किंगफिशर के लिए हर साल ग्लैमरस हॉट मॉडल्स की फोटो के साथ निकलने वाले कैलेंडर शूट में कहीं कोई कोताही नहीं की गई है. उनकी ग्लैमरस, खर्चीली पार्टियों पर कहीं कोई असर नहीं दिखता. 4 साल की उम्र में अपने पिता से पहली फेरारी कार पाने वाले विजय माल्या का विलासित भविष्य तभी दिख गया था. आज भी वह ज्यों का त्यों है.
यूबी ग्रुप से जुड़ना
1983 में अपने पिता वित्तल माल्या की मौत के बाद 28 साल की उम्र में पूरी यूबी ग्रुप का भार संभालने के बाद विजय माल्या ने उसे नई ऊंचाइयां दी. यूनाइटेड बेवेरेजेज ग्रुप से जुड़ने के बाद विजय माल्या ने इसकी कई शाखाएं खोलीं. किंगफिशर की अल्कोहल बिजनेस को प्रमुखता देते हुए इसके साथ नॉन-प्रॉफिटेबल किंगफिशर एयरलाइन खोलीं. हालांकि आज किंगफिशर एयरलाइन डूबने के कगार है. 2005 में स्थापित हुई इस एयरलाइन का लाइसेंस 2012 में रद्द कर दिया गया. कंपनी इसके कर्मचारियों को वेतन दे पाने में सक्षम नहीं थी और इसपर करोड़ों का कर्ज था. लेकिन किंगफिशर बेवरेजेजे का बाजार पूरी तरह स्थापित है. भारतीय बीयर बाजार में इसकी 50 प्रतिशत की भागीदारी है. इंटरनेशनल बाजार में भी यूबी ग्रुप की विंग कंपनी इसकी यूनाइटेड स्पिरिट लिमिटेड 145 मिलियन केसेस बेचकर विश्व की सबसे बड़ी स्पिरिट कंपनी है.
विलासित जीवनशैली
विजय माल्या की विलासित, ग्लैमरस पार्टियां बॉलीवुड से लेकर हर बड़े घराने के लिए ब्रांड पार्टी है. दिवालियापन के कगार पर भी अपने वीआईपी और सेलिब्रेटी दोस्तों के लिए 60 मिलियन डॉलर खर्च की पार्टी देने कहीं कोई हिचकिचाहट नहीं दिखती. अपने बेटे सिद्धार्थ माल्या के 18वें जन्मदिन पर उन्होंने किंगफिशर उसे गिफ्ट कर दिया था. हालांकि लोगों का यही कहना था कि डूबी हुई कंपनी देकर अपना भार सिद्धार्थ को दे दिया है विज्य माल्या ने. 6000 करोड़ का कर्ज किंगफिशर एयरलाइन पर होने के बावजूद माल्या बंगलोर में भव्य किंगफिशर टॉवर बनवा रहे हैं. अगले तीन सालों में यह टॉवर पूरा यह हो जाएगा. 82 अपार्टमेंट्स वाले इस टॉवर में 72 अपार्टमेंट्स सेलिब्रिटीज को बेचे जाएंगे और अन्य माल्या और उनके परिवार के सदस्यों के लिए होंगे. किंगफिशर के लाभ-नुकसान से अलग विजय माल्या ने सहारा फोर्ब्स इंडिया एफ1 टीम भी खरीदी. आईपीएल में रॉयल चैंलेजर्स बंगलोर को लेकर भी वे खासा चर्चा में रहे. हालांकि यह सब विजय माल्या के विलासित शौक के साथ भी जोड़कर देखा जाता रहा लेकिन यह उनकी बिजनेस का बिंदास और बेतकल्लुफ स्टाइल रहा है. बीयर बिजनेस से लेकर एयरलाइन बिजनेस शौक के साथ जुड़ा यह ग्लैमरस बिजनेस स्टाइल नजर आता है.
शौक से जुड़ा बिजनेस और धर्म
विजय माल्या उन बिजनेस मैन में रहे हैं जिनका नाम बिजनेस से अलग अन्य गतिविधियों में भी रहा है. विजय माल्या धार्मिक माने जाते हैं. अपने किसी भी एयरलाइन की शुरुआत से पहले उसकी पहली उड़ान शिरडी होती है. इसके अलावे विजय माल्या को जेवलरी का काफी शौक रहा है. एक बड़ा डायमंड ब्रेसलेट हमेशा उनके दाहिने हाथ में होता है. किसी भी नए काम की शुरुआत वह शुभ समय देखकर करते हैं.
राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियां
बिजनेस के अलावे माल्या की राजनीतिक गतिविधियां भी खासा चर्चा में होती हैं. 2010 से वे कर्नाटक से राज्यसभा के सदस्य भी हैं. हालांकि उनकी राज्यसभा सदस्यता से इसपर कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन देश की धरोहर को देश में लाने के लिए माल्या का नाम सभी बिजनेसमैन से अलग रहा है. 2004 में लंदन में टीपू सुल्तान की तलवार की नीलामी में विजय माल्या ही उसे खरीदकर भारत लाए. इसी तरह 2009 में महात्मा गांधी का चश्मा, चमड़े की चप्पल, घड़ी, अंतिम बार जिस प्लेट में महात्मा गांधी ने खाना खाया था उस प्लेट को भी 1.8 मिलियन डॉलर खर्च कर खरीदा. भारत सरकार द्वारा नीलामी को न रोक पाने की स्थिति में माल्या के इस कदम की काफी सराहना हुई थी.
एयरलाइन के बिजनेस में बड़े नुकसान के बाद कर्ज में डूबे विजय माल्या के रहन-सहन खर्चीले स्वभाव कोई बदलाव नजर नहीं आता. आज भी पहले की तरह पार्टियां देना, बिंदास और बेपरवाह जीना भी एक प्रकार से विजय माल्या के साथ जुड़ा विवाद ही है. बिजनेस को ग्लैमर से जोड़ना एक प्रकार से माल्या की देन है.
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