- 173 Posts
- 129 Comments
बाजार और निवेशकों की ऊंची उम्मीदों को देखते हुए भारत के केंद्रीय बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) ने रेपो दर में मामूली 0.25 फीसदी की कटौती की है. अब रेपो दर 7.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया है. वहीं आरबीआई ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और सीआरआर 4 फीसदी के स्तर पर बरकरार है. आरबीआई की इस घोषणा के बाद बाजार में निराशा दिखी. बंबई स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स आधा फीसदी लुढ़क गया.
रेपो रेट घटने से होम, कार, कॉरपोरेट और पर्सनल लोन के ब्याज में कमी आएगी आने वाले समय में आम आदमी को कर्ज पर कम ब्याज देना पड़ेगा. इससे बैंक लोन की ईएमआई का बोझ भी कम होगा.
आरबीआई के गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि सिर्फ मौद्रिक नीति से विकास दर में रफ्तार नहीं लाई जा सकती है. मौजूदा स्थिति में जोखिम को देखते हुए दरों में ज्यादा कटौती की गुंजाइश कम है. खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर अब भी ज्यादा है. वित्त वर्ष 2014 में निर्यात की रफ्तार कमजोर रहने की आशंका है वहीं अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में धीमापन जारी है.
क्या है रेपो रेट
जब कभी बैंक यह समझें कि उनके पास धन की उपल्ब्धता कम है या फिर दैनिक कामकाज के लिए रकम की जरूरत है तो आरबीआई से कम अवधि के लिए कर्ज ले सकते हैं. इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो दर कहते हैं. रेपो दर में कमी से बैंकों को सस्ती दर पर पैसे पाने के लिए मदद मिलेगी वहीं जब रेपो दर बढ़ती है तो इसका सीधा मतलब है कि रिजर्व बैंक से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा जिसका असर बैकों से लोन लेने वाले उपभोक्ताओं पर भी पड़ता है.
रेपो दर, रेपो रेट.
Read Comments