भारत सरकार ने अभी कुछ ही रोज पहले देश में शिक्षा के कानून को मंजूरी दे दी है. इसके लिए सब से पहले मै श्री कपिल सिब्बल जी को बधाई और धन्यवाद देना चाहुगा. सिब्बल जी ने देश में बच्चो की शिक्षा के लिए कानून बना कर के अपने आप को इतिहास के पन्नो में दर्ज करा दिया है.
यह वह कानून है जिसकी भारत को बड़ी मुद्दत से जरूरत है और यह कानून पास करा कर के भारत विश्व का १३५व देश बन गया है. इस कानून के तहत १४ साल तक के बच्चो को अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है. जिससे देश के करोडो बच्चो को इस कानून का फायदा मिलेगा. आज भारत में गरीब बच्चो की शिक्षा का स्तर बहुत ही गिरा हुआ है. अधिकतर बच्चे फीस के आभाव में या तो स्कूल का मुह ही नहीं देख पाते है या फिर उनको एक या दो क्लास पढ़ कर पैसे के आभाव में स्कूल छोड़ना पड़ता है. इस कानून के अंतर्गत कोई भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल कम से कम कानूनी तर पर किसी भी १४ साल के बच्चो को स्कूल से नहीं निकल सकते है. और अगर कोई विद्यालय ऐसा करता है तो उसपर कानूनी करवाई करी जा सकती है. इस कानून के तहत हर स्कूल को एक कोटा रखना होगा समाज के गरीब बच्चो के लिए और उनको भी वो सभी सुविधाए जी जाएगी जो एक किसी संपन घर के बच्चे को दी जाती है. मै इस कानून को एक नयी शुरुआत की तरह लेता हूँ जिससे देश के कई करोड़ गरीब बच्चो का भला होगा.
यह कानून निश्चित ही भारत सरकार का एक बड़ा कदम है लेकिन इस कानून के कुछ पहलू ऐसे भी है जिस पर अभी और काम करने की जरूत है. सब से पहले तो सवाल यह उठता है की यह कानून एक तय उम्र १४ साल तक के बच्चो के लिए बनाया गया है जो की बहुत ही कम है. अगर हम इस उम्र को क्लास के हिसाब से देखे तो शिक्षा का कानून यही कोई लगभग कक्षा ८ तक की शिक्षा के लिए बनाया गया है. मेरे विचार से इस कानून के तहत कम से कम १०वी कक्षा तक के लिए बनाया जाना चाहिए था क्योंकी 8वी तक की शिक्षा अभी बीते ज़माने की बात हो चूकी है. जैसा हम सभी जानते है आज कल स्कूल की फीस के साथ साथ किताबो और विद्यालय की यूनिफ़ॉर्म का खर्चा भी गरीब बच्चो की पढाई का बड़ा रोड़ा है. सरकार को इसके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए था, कि एक गरीब बच्चे को आप स्कूल तक तो पंहुचा देंगे लेकिन उसकी पढाई का बाकि खर्चा कहाँ से आयेगा?
जैसा कि भारत कि अधिकतर गरीबो के लिए बनायीं गई योजनाओ के लिए होता है, कि फायदा सही आदमी तक नहीं पहुच पता है. सरकार को इसके लिए भी कुछ कठोर प्रावधान करने चाहिए थे. सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा का अधिकार देश के सबसे पिछड़े और गरीब इलाको तक पहुचे.
मेरा केंद्र सरकार से यही निवेदन होगा कि सरकार यह कानून पूरी पारदर्शिता और इक्षाशक्ति के साथ लागू करे. यह एक नयी शुरुआत है देश के लिए, और कोई भी अच्छा काम अगर अच्छी नियत के साथ शुरू हो आधा तो ऐसे ही सफल होता है. देश की जरूत और भावनाओ के अनुसार इस कानून में भविष्य में बदलाव संभव है जो इस कानून को देश के कोने कोने तक सफल बनाने के लिए आवश्यक भी होगे.
यही उम्मीद करता हूँ की एक दिन भारत का हर बच्चा शिक्षित होगा और सारा देश एक साथ कदम से कदम मिला कर चलेगा. तब देश में किसी भी बच्चे को उसकी गरीबी के कारण स्कूल नहीं छोड़ना पड़ेगा.
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