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कस्म गोया तेरी खायी न गयी

ग़ाफ़िल की कलम से
ग़ाफ़िल की कलम से
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दिल से तस्वीर मिटायी न गयी।
याद तेरी थी भुलायी न गयी।।

ज़ीनते-गुफ़्तगू हो जाती बस
बात बाक़द्र चलायी न गयी।
…आगे

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