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शिक्षा का नया आकाश

जागरण मेहमान कोना
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Pavan Duggalटेबलेट और आइपैड के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आता देख रहे हैं पवन दुग्गल

आजकल डिजिटल जगत में टेबलेट की धूम मची है। टेबलेट की लोकप्रियता का कारण है इसकी बहुआयामी उपयोगिता। इनमें इंटरनेट पर काम करने के अलावा कंप्यूटर से जुड़े अन्य बहुत से कार्य किए जा सकते हैं। विभिन्न कंपनियां टेबलेट के नए-नए मॉडलों के साथ कंप्यूटर के भविष्य पर पकड़ मजबूत कर रही हैं। भारत में सरकार ने आकाश नाम से विश्व का सबसे सस्ता टेबलेट बाजार में उतारा है। टेबलेट की बढ़ती लोकप्रियता और अनेक कार्यो में इसके इस्तेमाल को देखते हुए इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में हमारे नीति नियंताओं के एजेंडे में टेबलेट का भी अहम स्थान होगा। पहले ही टेबलेट को लेकर विभिन्न प्रयोग चल रहे हैं। चीन में टेबलेट बांटे जा रहे हैं। भारत में भी बहुत सी राज्य सरकारें शिक्षा के उद्देश्य से टेबलेट बांटने पर विचार कर रही हैं। अगर शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में टेबलेट की उपयोगिता देखें तो यह भारत में शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। टेबलेट शिक्षा का चेहरा पूरी तरह बदल सकता है। भारत विभिन्नताओं का देश है। यहां संपन्न और विपन्न के बीच चौड़ी खाई है। डिजिटल विभाजन ने इस खाई को और व्यापक पहचान दी है। अब डिजिटल आबादी और गैरडिजिटल आबादी संपन्नता और विपन्नता का पैमाना बन गई है। सस्ते टेबलेट के चलन ने अब इस खाई को पाटने की दिशा में आगे कदम बढ़ाया है। कभी बेहद महंगा टेबलेट अब आकाश के नाम से भारत में बेहद सस्ते दामों में सफलतापूर्वक लांच किया जा चुका है। टेबलेटों का शिक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो सकता है।


आइपैड और टेबलेट पर छात्रों को शिक्षा के नए आयाम नजर आएंगे। इंटरनेट ज्ञान का सागर है। टेबलेट के माध्यम से छात्र इंटरनेट पर ज्ञान और सूचना के समृद्ध श्चोत तक आसानी से पहुंच बना सकते हैं। यही नहीं, टेबलेट और आइपैड के अधिकाधिक इस्तेमाल से स्कूल अधिक क्रियात्मक और रचनात्मक बन जाएंगे। साथ ही इनमें कागज का इस्तेमाल भी कम होगा। इनसे पढ़ाई पर सकारात्मक असर पड़ेगा और यह अधिक दिलचस्प हो जाएगी। स्पष्ट है, इससे शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा। आज के बच्चे कल के नागरिक होंगे। इन नागरिकों में प्रौद्योगिकी की चुनौतियों से निपटने के गुर विकसित किए जाने की जरूरत है। आइपैड और टेबलेट का इस्तेमाल शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाने जा रहा है। हालांकि, इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि इनकी कीमत बेहद प्रतिस्प‌र्द्धी रखी जाए। हमें इस तथ्य से अवगत होना चाहिए कि भारत ऐसा देश है जहां अधिकांश लोगों के पास मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। इस परिप्रेक्ष्य में टेबलेटों का सस्ता होना और टेबलेट पर आधारित स्कूल होना मात्र पर्याप्त नहीं है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए नीतियों और वातावरण को सकारात्मक बनाना होगा।


आज अधिक से अधिक लोग टेबलेट के माध्यम से सूचना तक पहुंच रहे हैं। टेबलेट के बारे में कॉमस्कोर ने अगस्त 2011 में दिलचस्प सर्वे किया। इसके अनुसार टेबलेट का इस्तेमाल करने वालों में 54.7 पुरुष हैं और इनमें करीब 30 फीसदी 25-34 आयुवर्ग के हैं। टेबलेट धारकों में से 45.9 फीसदी की आय एक लाख डॉलर प्रतिवर्ष है। करीब आधे टेबलेट धारकों ने टेबलेट के माध्यम से अगस्त 2011 में खरीदारी की है। पांच में से तीन टेबलेट धारक इन पर खबरें पढ़ते हैं और सोशल नेटवर्किग करते हैं। गार्टनर के अनुसार, टेबलेट खरीदने वालों की संख्या 2010 में 1.76 करोड़ से बढ़कर 2011 में 6.36 करोड़ हो गई है। यह एक साल में ही 261 फीसदी वृद्धि को दर्शाता है। मीडिया टेबलेट की बिक्री में 2015 तक भारी वृद्धि होती रहेगी। तब तक इसकी बिक्री 32 करोड़ इकाई पर पहुंच जाएगी। 2009 में अपने जन्म के छह साल के भीतर ही टेबलेट का 32 करोड़ सालाना बिक्री पर पहुंचना खुद ही इसकी सफलता की कहानी कहता है। अगले पांच से दस साल के भीतर टेबलेट कंप्यूटिंग फॉर्म फैक्टर को बदल डालेगा। नित नवीन डिजाइन वाले टेबलेट में नए-नए फंक्शन इसे और भी उपयोगी बनाते चले जाएंगे। हालांकि भारत के स्कूलों में टेबलेट और आइपैड देना मात्र पर्याप्त नहीं होगा। यह अपने आप में कोई क्रांति नहीं है। शिक्षकों को भी नई तकनीक से लैस करना होगा और उन्हें शिक्षा में टेबलेट के इस्तेमाल के प्रति प्रशिक्षित करना होगा। इसके अलावा पाठ्यक्रम को भी इस प्रकार पुनर्निर्धारित किया जाना चाहिए, जिसमें टेबलेट को भी उचित स्थान मिलना चाहिए। अगर बच्चे के पास तो आइपैड या टेबलेट है, किंतु शिक्षक टेबलेट के सहारे बच्चों को प्रभावी ढंग से पढ़ाना नहीं जानता तो यह बेमानी हो जाएगा। हमें अपने अनुभव से सबक लेना चाहिए।


कंप्यूटरीकरण युग के दौरान जब विभिन्न सरकारी दफ्तरों में कंप्यूटर भेजे गए तो इनका इस्तेमाल कंप्यूटर के तौर पर न होकर टाइपराइटर के रूप में हुआ। यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि टेबलेटों का महज मल्टीमीडिया उपकरण के तौर पर इस्तेमाल न हो। इससे यह उपकरण फायदे के बजाय घाटे का सौदा हो जाएगा। अगर टेबलेट आदि का पोर्न फिल्में देखने में इस्तेमाल हुआ तो भी इसका भारी नुकसान होगा। हमें शिक्षा के आलोक में टेबलेट के इस्तेमाल के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की आवश्यकता है। हमें पर्याप्त निगरानी उपाय भी करने होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा के लिए दिए जा रहे टेबलेटों का इस्तेमाल ऐसे कार्यो में न होने लगे जो शालीनता की सीमा लांघते हों। प्रौद्योगिकी की दुनिया बहुत तेज गति से आगे बढ़ रही है। नित नए सुधार हो रहे हैं। हमें भी इस तेज रफ्तार से कदमताल करने की जरूरत है। भारत की शिक्षा और शिक्षा नीति मोटे तौर पर परंपरागत है और प्रौद्योगिकी के साथ कदमताल नहीं कर पा रही। टेबलेट इंटरनेट युग के प्रथम साधन हैं, जो भारत के वर्तमान तकनीकी विभाजन को पाटने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। इससे भारतीय शिक्षा और अधिक सार्थक व प्रासंगिक हो जाएगी। भारतीय शिक्षा व्यवस्था में टेबलेट और आइपैड की भूमिका को सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नि:संदेह टेबलेट से भारतीय शिक्षा व्यवस्था में अहम बदलाव की उम्मीदें हैं।


लेखक पवन दुग्गल जाने-माने साइबर विशेषज्ञ हैं


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