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बेटियों को लेकर बदलती सोच

जागरण मेहमान कोना
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ऐश्वर्या राय बच्चन ने बुधवार को एक कन्या को जन्म दिया। जाहिर है, बच्चन परिवार में एक नए सदस्य के आगमन से सभी गदगद हैं। वैसे भी जिस परिवार में महिलाओं के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता वहां पर पुत्र या पुत्री के जन्म से कोई फर्क नहीं पड़ता। बच्चन परिवार इस लिहाज से आदर्श परिवार की श्रेणी में आता है। नए-नए बने डैडी अभिषेक की न केवल मां जया बच्चन, बल्कि दादी तेजी बच्चन भी कार्यशील महिलाएं रही हैं। इन तथ्यों की रोशनी में बच्चन परिवार में कन्या के आने का स्वागत होना स्वाभाविक ही है। लेखिका तस्लीमा नसरीन ने हाल ही इच्छा जताई थी कि ऐश्वर्या को पुत्री रत्न की ही प्राप्ति हो क्योंकि इसका एक सकारात्मक संदेश जाएगा। इससे उन लोगों की सोच में बदलाव आएगा जो जन्म से पहले ही पुत्री के इस संसार में आने पर रोक लगा देते हैं। भारत में रह रहीं तस्लीमा नसरीन ने जब यह टिप्पणी की होगी तब जाहिर तौर पर उनके जेहन में दक्षिण एशिया के दो और देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी रहे होंगे। भारत की तरह इन दोनों देशों में भी कन्या भ्रूण हत्या एक महामारी की तरह फैल गई है। पुत्र पाने की इच्छा पागलपन की सीमाओं को भी लांघ गई है। एक तरफ भारत का हिंदू समाज देवी का आराधक है, वहीं उसे कन्या से परहेज है।


भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का इस्लामिक समाज भी कन्या को लेकर किसी भी तरह का सकारात्मक रवैया दिखाने के लिए तैयार नहीं है। इस समाज में कन्या को इस दुनिया में आने के लिए बहुत से अवरोधों को लांघना पड़ता है। और अगर आ गई तो उसे दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में ही रहना पड़ता है। तस्लीमा की राय से इत्तेफाक किया जा सकता है क्योंकि लाखों-करोड़ों लोग बच्चन परिवार के फैन हैं। ये जो भी करते हैं, उनसे इनके प्रशंसक कहीं न कहीं प्रभावित होते हैं। ऐश्वर्या राय समेत उनके परिवार के सभी सदस्यों को संभवत: उनके पुत्री को जन्म देने से पहले ही पता चल गया होगा कि उनके गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग क्या है। इसके बावजूद समूचा बच्चन परिवार बड़ी शिद्दत के साथ परिवार के नए सदस्य के स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ था। कुछ समय पहले बच्चन परिवार के आशियाने जलसा में ऐश्वर्या की गोद भराई की रस्म भी बहुत जोर-शोर से मनी थी। उसमें बॉलीवुड की तमाम हस्तियां मौजूद थीं। यानी कि बच्चन परिवार अपने नए सदस्य के स्वागत की तैयारी कर रहा था। आपको याद होगा जब अभिषेक का विवाह हुआ तो अमिताभ बच्चन ने एक जगह कहा था कि उनकी भी चाहत अपने पोते को देखने की है।


बिग बी की इस सामान्य सी राय पर कई महिला संगठनों ने उनकी भ‌र्त्सना की थी। इस पर अमिताभ ने बचाव की मुद्रा में कहा था कि जब उन्होंने पोते का मुंह देखने की इच्छा जताई थी तब उनका आशय यह नहीं था कि उनका पोती को लेकर किसी तरह का विरोध है। अगर पोती होगी तो वह और उनका परिवार उसका भी तहेदिल से स्वागत करेगा। अमिताभ बच्चन ने यह भी कहा था कि उन्होंने अपने पुत्र और पुत्री में कभी भेदभाव नहीं किया। देखा जाए तो उन्होंने अपनी बहू को भी बेटी की तरह से माना। ऐश के परिवार की बहू बनने के बाद भी अमिताभ या अभिषेक ने उन्हें बॉलीवुड से दूर रहने का फरमान जारी नहीं किया। जया भी शादी के बाद फिल्मों से जुड़ी रहीं। हालांकि दुर्भाग्यवश बॉलीवुड से बीच-बीच में ऐसी खबरें आती रहती हैं, जो संकेत देती हैं कि वहां पर कुछ लोग महिलाओं को लेकर बहुत सकारात्मक रवैया नहीं रखते।


उदाहरण के लिए संजय दत्त बीच-बीच में कहते रहते हैं कि दत्त परिवार की महिलाएं फिल्मों में काम नहीं करतीं। हालांकि उनकी अपनी मां नरगिस भी प्रख्यात अभिनेत्री रही हैं। इस लिहाज से राजकपूर के परिवार का ट्रेक रिकार्ड भी कोई बहुत शानदार नहीं है। वहां भी बहू-बेटियों का फिल्मों में काम करना पसंद नहीं किया जाता। ऐश्वर्या के कन्या को जन्म देने से तस्लीमा की खुशी छिप नहीं रही है। उन्होंने अमिताभ बच्चन से मुंह मीठा कराने का आग्रह करते हुए ठीक ही कहा है कि बच्चन परिवार के पुत्री के जन्म पर गदगद होने से अन्य लोगों को कन्या का स्वागत करने की प्रेरणा मिलेगी। कम से कम विवादास्पद लेखिका की इस राय पर तो कोई विवाद नहीं होगा।


लेखक विवेक शुक्ला स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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