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लश्कर का बढ़ता खतरा

जागरण मेहमान कोना
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मुंबई हमलों के तीन साल बाद, विश्वस्तर पर धर-पकड़ और तमाम प्रतिबंधों के बावजूद लश्करे तैयबा पहले से अधिक बड़ा खतरा बना हुआ है। आज लश्कर, हक्कानी नेटवर्क या तालिबान या फिर अलकायदा से भी ज्यादा शक्तिशाली हो गया है। इसकी प्रमुख वजह लश्कर का व्यापक आतंकी ढांचा, धर्मार्थ कार्यो के चलते समाज में गहरी पैठ, राजनीतिक सक्रियता और सामाजिक ढांचा के अतिरिक्त भर्ती के लिए विश्वव्यापी ढांचा इसे अधिक खतरनाक बनाता है। आतंकवादी हमलों के लिए समुद्री क्षेत्र का उपयोग और साइबर युद्घ क्षमता में इसकी अच्छी पकड़ है। दूसरे देशों में जाकर हमले करने की इसकी क्षमता जबरदस्त है। इसने भारत और अफगानिस्तान में हमले तो किए ही हैं साथ ही जर्मनी, डेनमार्क, आस्ट्रेलिया और इराक तक में हमले करके अपने इरादे सबको जता दिए। पाकिस्तान सेना और आइएसआइ के साथ इसके गहरे संबंध हैं।


दुनिया भर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों में लश्कर का ढांचा बहुत व्यापक है। पाकिस्तान में इसके 2500 से भी अधिक कार्यालय हैं जो भर्ती करने और धन एकत्र करने का काम करते हैं। धन एकत्र करने के इस संगठन के तीन प्रमुख स्रोत हैं। पहला, दावा मिशनों के जरिए जो घरेलू स्रोत हैं। दूसरा, दुनिया भर के इस्लामी धर्मार्थ संगठन जो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में हैं। तीसरा, आतंकवादी शिविर चलाने और भारत तथा अफगानिस्तान में हमले करने की एवज में पाकिस्तान सेना और आइएसआइ की ओर से मिलने वाला धन है। हेराल्ड की खबर के अनुसार, भर्ती और प्रशिक्षण के लिए आइएसआइ इसे हर महीने 50 हजार से लेकर 60 हजार डॉलर देती है। पाकिस्तान में, लश्कर एक दावा या धर्मोपदेशक संगठन के रूप में काम करता है जो सऊदी अरब और अमीरात के उग्र वहाबवाद की तर्ज पर इस्लाम की उग्र विचारधारा को पोषित करता है। इस गठजोड़ से संगठन को इन देशों से पाकिस्तान में मदरसों और मस्जिदों के जरिए भारी मात्रा में पेट्रो डॉलर मिलते हैं। 2008 के अमेरिकी अनुमानों के अनुसार वहाबी मदरसों और दूसरे संगठनों को सालाना दान 10 करोड़ डॉलर से भी अधिक था। 9/11 के बाद लश्कर के कई कार्यालयों को बंद कर दिया गया था, लेकिन अधिकांश मदरसों, धर्मार्थ संगठनों, व्यावसायिक संस्थानों के रूप में दुनिया की नजरों से बचकर काम कर रहे हैं।


पूरे पाकिस्तान में, मस्जिदों, किताबों की दुकानों और समाज कल्याण केंद्रों के जरिए लश्कर में भर्ती की जा रही है। इतना ही नहीं अफगानिस्तान, श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से पुरुषों और महिलाओं को ही भर्ती किया जा रहा है। एजेंटों के माध्यम से भी भर्ती की जाती है। डेविड हैडली भी एक ऐसा ही व्यक्ति था। करीब 22 देशों में लश्कर की मौजूदगी से साबित होता है कि विदेशी परिवेश में भी यह अपनी गतिविधियां चला सकता है जो क्षमता आमतौर से खुफिया एजेंसियों में ही होती है। इससे साफ है कि लश्कर या उसका कोई छाया संगठन अमेरिका की जमीन पर या किसी अन्य पश्चिमी देश में भीषण हमला कर सकता है। आज लश्कर दुनिया में कहीं भी 9/11 जैसा हमला करने में सक्षम है। लश्कर पाकिस्तान सेना/आइएसआइ की अज्ञात उग्रवादी एजेंडों को अंजाम दे रहा है। छापामार युद्घ, खुफियागीरी, विस्फोटकों और तोड़फोड़ के कामों में माहिर 50 हजार से भी अधिक सदस्य बनाकर लश्कर ने पाकिस्तान सेना के लिए एक भरोसेमंद सैन्य रिजर्व के रूप में खुद को साबित किया है। पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में कई ट्रेनिंग कैंप सीधे लश्कर द्वारा चलाए जा रहे हैं। प्रशिक्षकों में कई भूतपूर्व सैनिक हैं। अब यह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य आपरेशन से बचकर भागे अलकायदा और तालिबान कैडर को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध करा रहा है। अगर मुंबई हमलों के लिहाज से देखा जाए तो साफ है कि यह संगठन परमाणु युद्घ तक छिड़वा सकता है।


लेखक विल्सन जॉन स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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