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चाहतों, हसरतों व दिलेरी के तराने

जागरण मेहमान कोना
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टीवी या इंटरनेट से चिपके लोगों को कहानियों तक खींच लाना है, तो रोमांस, बेवफाई का तड़का बेवजह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें सौ फीसद खरी उतरी हैं मंजुल बजाज। चाहत, प्यार और अंतरंगता का पेचीदा जाल बुना है उन्होंने अपनी कृति में। शायद किताब का शीर्षक भी उन्होंने यही सोचकर दिया है-एनॉदर मैंस वाइफ। इसे देखकर पाठकों के दिमाग में एकबारगी यह बात आ सकती है कि नायक के साथ किसी अन्य की पत्नी के अंतरंग रिश्तों या फिर पर-पुरुष की तरफ आकर्षित होने वाली पत्नियों की चटखारेदार कहानियां होंगी, लेकिन इस संग्रह की कहानियां पढ़ने के बाद यह धारणा टूट सकती है। एनॉदर मैंस वाइफ नौ छोटी कहानियों का संग्रह है। इसके पात्र अलग-अलग तरीके से प्यार की अतल गहराइयों को छूने की चेष्टा करते हैं। उनका तरीका सही है या गलत, निर्णय पाठकों को लेना है। कहानी संग्रह की जान हैं बर्थमार्क, मी ऐंड सेमी फर्नाडीज और मैरीइंग नुसरत कहानियां। सामाजिक मान्यताएं भी किसी के लिए वरदान साबित हो सकती हैं, यह दर्शाया गया है बर्थमार्क में। नायिका उल्सा मिंज की वृद्धा सास को उसके शरीर पर एक बर्थमार्क दिखाई पड़ता है। इससे न सिर्फ उल्सा की जिंदगी खुशनुमा हो जाती है, बल्कि उसकी अजन्मी बच्ची की जान भी बख्श दी जाती है। मी ऐंड सेमी फर्नाडीज कहानी पढ़कर आपको गोवा की आबोहवा में घुले संगीत और रूमानियत का सहज अहसास हो सकता है।


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गोवा की मस्ती, म्यूजिक और खूबसूरती के बीच एक पारसी युवती को गैर-पारसी युवक से प्यार हो जाता है। युवती कोरी युवा पत्रकार है और युवक सेमी-बैंड आर्टिस्ट। दोनों के बीच परीकथा सरीखा रोमांस पनपता है और फिर शादी होती है। अंत थोड़ा दुखद है। सेमी नशा करता है और शादी के बाद शंकालु बनकर पत्नी पर कहर बरपाता है। एक दिन पत्नी को जान से मारने की कोशिश में खुद मौत का शिकार हो जाता है। इस कहानी के जरिये लेखिका पाठकों को सुख और दुख दोनों का रसास्वादन एक साथ कराने में कामयाब हुई हैं। यह इस किताब का बेहतरीन पक्ष है। मैरीइंग नुसरत में एक कम उम्र के युवक करीम को अपने से बड़ी उम्र वाली लड़की नुसरत से प्यार हो जाता है। नुसरत हर दिल अजीज है। वह पेशेवर है, इसलिए शहर से गांव जाकर काम करने का माद्दा भी रखती है। उससे शादी करने के सपनों को दिल में संजोए करीम शहर चला जाता है। जब वह शहरी बाबू बनकर अपने गांव लौटता है, तो वह एक परिपक्व इंसान बन चुका है। वह एक क्षण में नुसरत से शादी का वायदा भुला देता है। नुसरत अपने दम पर कहानी को अंत तक पठनीय बनाए रखती है। कहानी संग्रह की पहली कहानी है राइप मैंगोज। इसकी नायिका कथक नृत्यांगना है, जो अपनी सहूलियत के लिए बड़ी उम्र के व्यक्ति से शादी कर लेती है। वह पति की आंखों में धूल झोंककर पूर्व प्रेमी के साथ भी संबंध कायम रखती है। मां के इस अवैध रिश्ते का विरोध करती है उसकी बेटी। क्रॉस्ड बॉ‌र्ड्स में एक नौकर अनजाने में अपने मालिक की बेटी को बाथरूम में नहाते देख लेता है, जिसे वह बहुत बड़ी गलती मान बैठता है। इस अपराध बोध से वह सीधे-सादे इंसान से हत्यारा बन जाता है। वह पूरे परिवार का कत्ल कर देता है। कहानी में कई पेच और कडि़यां हैं, इस जो कहानी को उबाऊ बना देती है। ए दीपावली गिफ्ट त्याग और जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देती है।


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अंडर ए मूनलिट स्काई में दो अलग-अलग जगहों के प्रेमी जोड़ों के रिश्तों को दिखाया गया है। एक जोड़ा संतान-सुख पाने के लिए कई तरह के वैज्ञानिक उपाय करता है, तो दूसरा कश्मीर में बिगड़ते हालात से प्रभावित है। कहानी को सनसनीखेज बनाने की कोशिश भी की गई है। बताया गया है कि हिल स्टेशनों के होटल, मॉल में हिडन कैमरे लगे होते हंै। यह बात न सिर्फ पाठकों को सशंकित कर सकती है, बल्कि अनहोनी के प्रति ज्ञान चक्षु खोलने का भी काम कर सकती है। लॉटरी टिकट में एक पति, पत्नी के कहने पर बूढ़ी मां के कीमती मकान को बेचने का असफल प्रयास करता है। पति-पत्नी के झगड़ों के बीच पति का लॉटरी टिकट खरीदने का प्रसंग कहानी में जबर्दस्ती ठूसा हुआ लगता है। संग्रह की अंतिम कहानी है एनॉदर मैंस वाइफ, जो कुल 88 पन्नों में समेटी गई है। इसमें एक आदिवासी युवक देवजी और युवती कुहेली एक-दूसरे से प्रेम करते हंै। वे दोनों घर से भाग कर शादी करते हैं। नर्मदा नदी पर बांध बनने के कारण वे विस्थापितों की श्रेणी में आ जाते हैं। अस्थायी ठिकाने को अपना घर बना लेने के बाद कुहेली के सामने एक विषम परिस्थिति आ जाती है। उसके यौवन पर एक ठेकेदार आकर्षित है, जो छह महीने के लिए उसे अपने पास बंधक बनने का प्रस्ताव देता है। इसी समय नायिका का एक दूसरा चरित्र उभरकर आता है। वह उसके साथ जाने से पहले उससे एक सौदा करती है और उस पर अपने पति और बच्चों के लिए जमीन के एक टुकड़े का बंदोबस्त करने का दबाव बनाती है। वह अनपढ़-गंवार स्त्री वासना में डूबे ठेकेदार को भी सच्चरित्रता का पाठ पढ़ा देती है। वह हर विषम परिस्थिति में सशक्त बन कर उभरती है। एक स्त्री लीक से हटकर परिवार की भलाई के लिए अपनी इज्जत का सौदा करती है। मंजुल बजाज की यह दूसरी कृति है। ज्यादातर कहानियों में वह सामाजिक बाड़ों को तोड़ती नजर आती हैं। कहानी के संदर्भ, मुद्दों को उन्होंने प्रभावशाली तरीके से उठाया है, लेकिन कभी-कभी कहानी बेवजह लंबी खिंचती है, जो पाठकों में ऊब पैदा कर सकती है।


लेखिका – स्मिता


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