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भारत की घेराबंदी

जागरण मेहमान कोना
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चीन बातें चाहे जिस तरह की करता हो लेकिन असलियत यह है कि उसने भूक्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामुद्रिक क्षेत्र में भी भारत की चारो तरफ से घेराबंदी कर रखी है। इसके लिए उसने भारत के सभी पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध बनाए। पाकिस्तान से गठजोड़ करके चीन पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इन क्षेत्रों में इस तरह के रेल व सड़क संपर्क मार्ग विकसित कर रहा है जिन पर उसकी पूरी पकड़ हो और किसी भी प्रकार की कोई भी बाधा न आए। काराकोरम नाम की श्रेणी लद्दाख श्रेणी के उत्तर में है। यहां पर भारत की सीमा अफगानिस्तान व चीन से मिलती है। काराकोरम श्रेणियों के मध्य ही काराकोरम दर्रा स्थित है जो तकरीबन 5578 मीटर ऊंचा है। चीन ने यहां से अपने देश के शिनचियांग प्रांत को पाकिस्तान से जोड़ने के लिए बहुत पहले ही काराकोरम मार्ग बनाया गया था। इस मार्ग से चीन बलूचिस्तान स्थित नौ सैनिक अड्डों पर मात्र 48 घंटों में पहुंचाने में सक्षम हो गया है।



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चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर अपना नियंत्रण हासिल कर लिया है। पहले इस बंदरगाह को सिंगापुर पोर्ट अथॉरिटी (एसपीए) और इसके साझीदार नेशनल लॉजिस्टिक सेल व एकेडी समूह को 40 साल के अनुबंध पर दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान सरकार बंदरगाह के मुहाने की 584 एकड़ जमीन एसपीए को हस्तांतरित करने में विफल रही। यह जमीन पाकिस्तानी नौसेना के पास थी। इस जमीन को अभी हाल ही में एक अनुबंध के तहत चीन को दे दिया गया है। इस जगह पर चीन 10 अरब डॉलर अर्थात लगभग 550 अरब रुपये का निवेश कर रहा है। यहां की सामरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर माकरात के ग्वादर बंदरगाह नौ सैनिक अड्डे को अब अत्याधुनिक रूप में विकसित किया जा रहा है। पूरी तरह से विकसित होने के बाद यह दुनिया के आधुनिकतम बंदरगाहों में से एक होगा। चीन ग्वादर से जियोंग रेल मार्ग तैयार कर रहा है। इस बंदरगाह का आर्थिक व सामरिक रूप से विशेष महत्व है।



इसीलिए चीन द्वारा परमाणु पनडुब्बियों, अत्याधुनिक जलयानों व मिसाइलों की तैनाती यहां पर की जा रही है। यहां से चीन अरब सागर के माध्यम से हिंद महासागर में प्रवेश करके भारत को चुनौती प्रस्तुत कर सकेगा। ग्वादर नौ सैनिक अड्डे पर पाकिस्तान की नौ सेना भी महफूज रह सकेगी। भारत के लिए चिंतनीय स्थिति यह है कि इस सामरिक महत्व वाले स्थान पर भारतीय नौसेना व थल सेना की पहुंच आसान नहीं होगी तथा पहाड़ी इलाका होने के कारण भारतीय वायु सेना भी यहां पर हवाई हमले नहीं कर सकेगी। हिंद महासागर में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए चीन ने म्यांमार को अपना दोस्त बनाकर उससे सैन्य संबंध बढ़ाए। चीन म्यांमार को परमाणु व मिसाइल क्षेत्र में सहयोग प्रदान कर रहा है। चीन ने म्यांमार के द्वीपों पर नौ सनिक सुविधाएं बढ़ा रखीं हैं जिससे हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकी। म्यांमार के हांगई द्वीप पर राडार व सोनार जैसी संचार सुविधाओं का स्थापित किया जाना चीन की ही देन है।



म्यांमार के क्याकप्यू में भी चीन बंदरगाह बना रहा है और थिलावा बंदरगाह पर भी चीन का आवागमन है। इसके अलावा चीन बांगलादेश के चटगांव व श्रीलंका के हंबन टोटा में बंदरगाह बना रहा है। ये सभी भारत के समुद्री तटों के अति निकट पड़ते हैं। अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोको द्वीप पर चीन अपनी ताकत बढ़ाकर आधुनिक नौ सैनिक सुविधाएं स्थापित कर चुका है। चीन जिबूती, ओमान व यमन जैसे देशों के बंदरगाहों का इस्तेमाल अपने लिए करने हेतु अपनी ताकत बढ़ा चुका है। इस तरह चीन ने भारत को सामुद्रिक क्षेत्र में चारो तरफ से घेर लिया है। ये सैन्य ठिकाने भारत की घेराबंदी के लिए पर्याप्त हैं और इनसे भारत को कड़ी चुनौती मिलेगी।


लेखक लक्ष्मी शंकर यादव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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