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China Prime Minister Li Keqiang: ली कछयांग
India And China Relations: Li Keqiang
हम परिवर्तन के युग में रह रहे हैं, किंतु कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका स्थायित्व, ताजगी और आकर्षण कभी कम नहीं होता। भारत एक ऐसा ही देश है। एक ही समय पुरातन और नवीन। चीन के प्रधानमंत्री के तौर पर मैं अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आ रहा हूं। मुझें उम्मीद है कि भारत और चीन के बीच विभिन्न क्षेत्रों में मैं दोस्ती और गहरी करने तथा सहयोग बढ़ाने में ठोस योगदान दे पाऊंगा। भारत और चीन का महान इतिहास रहा है। चीनी और भारतीय सभ्यताएं विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल हैं। हिमालय की ऊंची चोटियां दोनों देशों की दोस्ती और सहयोग में रुकावट नहीं डाल पाईं। दो प्रसिद्ध चीनी यात्रियों-फाह्यान और ह्वेन सांग तथा प्राचीन बौद्ध धर्म ने भारत और चीन के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक सहयोग में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने छात्र जीवन में मुङो वास्तव में भारत में गहरी रुचि थी। मैं महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर की यादगार कृतियों, उनके दार्शनिक विचारों से बहुत प्रभावित हुआ। उस समय के प्रमुख चीनी लेखकों के साथ उनकी मित्रता को भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। पीकिंग (बीजिंग) यूनिवर्सिटी में एक प्रमख चीनी विचारक थे जिनसे मेरा घनिष्ठ नाता बना। उन्होंने अपना पूरा जीवन प्राचीन भारतीय संस्कृति के अध्ययन में बिताया था। उनके योगदान को सम्मान देने के लिए उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया। पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी दो संस्कृतियों ने एक-दूसरे से काफी कुछ सीखा और इससे दोनों लाभान्वित हुए।
China Prime Minister Li Keqiang: ली कछयांग
China Politics 2013:Li Keqiang:Li Keqiang
27 साल पहले जब मैं भारत गया था तो वहां की गर्मजोशी, चमकीले रंग, कला की खूबसूरती, मेहनतकश और प्रतिभाशाली लोगों और विविधता पर मुग्ध हो गया था। 21वीं सदी का भारत नवाचार आधारित विकास की राह पर सरपट दौड़ रहा है। बेंगलूर दक्षिण एशिया की सिलिकॉन वैली के रूप में जाना जाता है। भारत का निर्माण क्षेत्र भी अपनी धाक जमा रहा है। टाटा मोटर्स वाणिज्यिक वाहन निर्माण में विश्व की पांच अग्रणी कंपनियों में शामिल है। मैंने पढ़ा है कि एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स भी योग और ध्यान सीखने भारत गए थे। माना जाता है कि इससे उन्हें नवोन्मेष के लिए प्रेरणा मिली। अब बड़ी संख्या में चीनी नौजवान भारत की समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर से परिचित होने के लिए भारत का रुख कर रहे हैं। दो बड़े पड़ोसी देशों, चीन और भारत की नियति है करीब आना। आजादी के संघर्ष में दोनों देशों की जनता ने एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और सद्भाव जताते हुए पूरा सहयोग दिया। इसके बाद दोनों देशों ने संयुक्त रूप से शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत (पंचशील) प्रतिपादित किए। दोनों देशों ने विकासशील देशों के अधिकारों और हितों के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और दक्षिण-दक्षिण सहयोग की अवधारणा को नया आयाम दिया।
China Prime Minister Li Keqiang: ली कछयांग
India And China Trade
आज हिमालय के आर-पार से मिला दोस्ती का हाथ और मजबूत हुआ है। अर्थव्यवस्था के विकास और लोगों के जीवनस्तर में सुधार के लिए दोनों देशों को शांति और सौहार्द के साथ काम करने की जरूरत है। वार्ता और सहयोग में ही दोनों देशा का हित निहित है। भारत एक मजबूत एशियाई राष्ट्र है। चीन भारत के विकास की तीव्र गति से खुश है और दोनों देशों के समग्र आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए भारत-चीन सहयोग को बढ़ाने का पक्षधर है। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि भारत और चीन को ऐतिहासिक विरासत के तौर पर कुछ कठिन मुद्दे भी मिले हैं, किंतु समृद्ध ऐतिहासिक अनुभव और व्यापक दृष्टि के बल पर भारत और चीन लंबे समय से सौहार्द के साथ रह रहे हैं। पिछले कुछ सालों के संयुक्त प्रयासों से दोनों पक्षों ने विवादित सीमा क्षेत्रों में शांति के साथ रहने का हल निकाल लिया है। दोनों ने गंभीरता और परिपक्वता के साथ ऐसे हालात से निपटना सीख लिया है। दोनों देश सहमत हैं कि चीन और भारत के बीच समान हित दोनों देशों के बीच मतभेदों पर भारी पड़ते हैं। मेरा मानना है कि जब तक हम समझबूझ से काम लेंगे तब तक रिश्तों के बीच आई तमाम बाधाओं को पार कर जाएंगे।
China Prime Minister Li Keqiang: ली कछयांग
चीन एक बड़ा देश है, जिसका विकास होता जा रहा है और वह शांति में यकीन रखने वाला है। हम जिस चीनी मूल्य को सबसे अधिक महत्व देते हैं वह है-किसी के साथ कोई ऐसा काम न करो, जो आप अपने साथ होना पसंद न करो। हम पड़ोसियों के साथ दोस्ताना और सद्भावना के पक्षधर हैं। अगर चीन कभी ताकतवर देश बन जाएगा तो भी यह आधिपत्य के अभिशप्त मार्ग पर नहीं चलेगा। चीन को आधुनिकीकरण की मंजिल हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता पार करना है। हमने विदेशी हमले, युद्ध और अशांति के रूप में अनेक त्रसदियां ङोली हैं और यह अच्छी तरह समझते हैं कि किसी को भी ऐसी त्रसदी ङोलने के लिए विवश नहीं किया जाना चाहिए। चीन जैसे घनी आबादी वाले बड़े देश को सफलतापूर्वक चलाने के लिए रोजमर्रा की सात जरूरतों की पूर्ति जरूरी है। ये हैं ईंधन, चावल, खाद्य तेल, नमक, सोया सॉस, सिरका और चाय। दूसरे शब्दों में हमें रोजमर्रा के जीवन में अपनी जनता की तात्कालिक समस्याओं को हल करना है। चीनी जनता को बेहतर शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और आरामदायक आवास के साथ-साथ सांस्कृतिक जीवन और राष्ट्रीय स्थिरता व संपन्नता की जरूरत है। हमारा ध्यान आत्मविकास और शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वातावरण पर केंद्रित है।
China Prime Minister Li Keqiang: ली कछयांग
हमें अपने पड़ोसियों के साथ सद्भाव और भाइचारे के साथ रहना है और विश्व में दोस्त बनाने हैं। शांतिपूर्ण विकास की राह पर चलने के लिए चीनी जनता को अडिग संकल्प और कड़ी मेहनत करनी होगी। वैश्वीकरण के इस युग में विभिन्न देशों के बीच संबंधों का आधार अंतरनिर्भरता है। चीन भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर व्यवस्था में सुधार के लिए काम करना चाहता है। चीन अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करते हुए ही राष्ट्रीय शक्ति हासिल करना चाहता है। हम दुनिया को कहीं अधिक खुले विचारों के साथ गले लगाने के लिए तैयार हैं और उम्मीद करते हैं कि विश्व भी चीन को इसी प्रकार सकारात्मक नजरिये से देखेगा। चीन और भारत की आबादी ढाई अरब पर पहुंच गई है, जो विश्व की कुल आबादी का 40 प्रतिशत है। हमें दो सबसे महत्वपूर्ण उभरते हुए बाजार के रूप में देखा जाता है। हालांकि पिछले साल हमारा द्विपक्षीय व्यापार 70 अरब डॉलर से भी कम रहा। यह दो देशों की शक्ति और दर्जे के अनुरूप नहीं है। इस तथ्य में यह भी निहित है कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की व्यापक संभावना है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के इंजन के तौर पर विश्व एशिया की ओर टकटकी लगाए है। अगर एशिया को विश्व शांति का अग्रणी बनना है तो दोनों देशों को कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा। अगर भारत और चीन साझा विकास का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते तो 21वीं सदी को एशिया की सदी बनाना संभव नहीं होगा।
इस आलेख के लेखक चीन के प्रधानमंत्री ली कछयांग हैं
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