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अमेरिका की जार्ज टाउन यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अपने प्रोफेसर और पेंटागन के पूर्व रक्षा रणनीतिज्ञ फिलिप कार्बर द्वारा दिए गए कठोर होमवर्क को पूरा करते हुए यह रहस्योद्घाटन किया है कि चीन ने अपने परमाणु हथियारों को छिपाने के लिए सुरंगों का बहुत बड़ा जाल बिछा रखा है। यह जाल हजारों किलोमीटर तक फैला हुआ है और चीनी इसे चीन की भूमिगत दीवार के रूप में पुकारते हैं। छात्रों की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने बढ़ते हुए परमाणु हथियारों के जखीरे को संभालने के लिए इन सुरंगों का इस्तेमाल कर रहा है। इस अध्ययन से एक और बड़ा खुलासा यह हुआ है कि चीन के परमाणु हथियारों की संख्या पश्चिमी अनुमानों से बहुत ज्यादा है। पश्चिमी देशों को चीन की भूमिगत सुरंगों के अस्तित्व का अहसास तो था, लेकिन इनके बारे में कोई ठोस जानकारी उनके पास नहीं थी। अमेरिकी छात्रों और उनके प्रोफेसर ने तीन साल तक विभिन्न चीनी श्चोतों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने सैकड़ों अनूदित चीनी दस्तावेज, सैन्य पत्रिकाओं, स्थानीय समाचारों, चीनी सैनिक शिक्षा प्रतिष्ठानों के पाठ्यक्रमों, उपग्रहों द्वारा लिए गए चित्रों, चीनी नागरिकों द्वारा नेट पर डाले गए चित्रों और नेट पर उपलब्ध अन्य सूचनाओं को खंगालने के बाद सुरंगों के बारे में ठोस सबूत जुटाए हैं। इन सुरंगों के बारे में पहला सुराग 2008 में सिचुवान प्रांत में आए एक बड़े भूकंप के दौरान मिला था।
प्रो. कार्बर उस समय पेंटागन की डिफेंस थ्रेट रिडक्शन एजेंसी के सदस्य थे। इस एजेंसी के चेयरमैन को जब चीनी समाचारों से यह जानकारी मिली कि सिचुवान में भूकंप के बाद हजारों रेडिएशन टेक्नीशियन वहां भेजे गए हैं तो उनके मन में यह जिज्ञासा पैदा हुई कि आखिर वहां ऐसा क्या हुआ है, जिसकी वजह से वहां रेडिएशन टेक्नीशियन भेजने की जरूरत पड़ गई। ढही हुई पहाडि़यों के उपग्रह से लिए गए चित्रों के आधार पर यह अंदाजा लगाया गया कि वहां जरूर भूमिगत सुरंगों का विस्तृत नेटवर्क फैला हुआ है। एजेंसी चेयरमैन ने फौरन कार्बर को बुलाकर उन्हें सिचुवान के हालात के बारे में गहरी छानबीन करने की जिम्मेदारी सौंप दी। कार्बर ने जार्ज टाउन यूनिवर्सिटी के छात्रों को इस काम पर लगा दिया। इन छात्रों ने बहुत कड़ी मेहनत विविध श्चोतों से चीन की भूमिगत दीवार के बारे में प्रमाण जुटाए। इसी दौरान उन्हें यह भी जानकारी मिल गई कि चीनी मिसाइल किस तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाए जाते हैं और किस तरह लंबी दूरी की मिसाइलों के परिवहन के लिए गोपनीय रेल कारों का प्रयोग किया जाता है।
चीन की सेकंड आर्टिलरी द्वारा तैयार एक 400 पेजों का मैनुअल भी छात्रों के इस ग्रुप के हाथ लग गया। चीन ने दिसंबर 2009 में पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया कि सेकंड आर्टिलरी ने करीब 5000 किलोमीटर लंबी सुरंगें निर्मित की हैं। भूमिगत सैन्य सुविधाओं में जमीन में गहराई पर बने हुए बेस भी शामिल हैं जो किसी भी परमाणु हमले को झेल सकते हैं। चीन के पास कितने परमाणु हथियार हैं, इसका सही-सही अंदाजा लगाना मुश्किल है। पश्चिमी रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के पास 80 से लेकर 400 परमाणु हथियार हैं, लेकिन कार्बर और उनके छात्रों का दावा है कि चीन की भूमिगत दीवार द्वारा छिपाए गए परमाणु हथियारों की संख्या सभी की अटकलों से बहुत ज्यादा हैं। कार्बर ने भूमिगत सुरंगों के नेटवर्क के पैमाने के आधार पर अनुमान लगाया है कि चीन के पास करीब 3000 परमाणु हथियार हैं। उल्लेखनीय है इस समय रूस के पास 8000 और अमेरिका के पास 5000 परमाणु हथियार हैं। छात्रों के स्टडी ग्रुप द्वारा तैयार की गई 363 पृष्ठों की रिपोर्ट अभी प्रकाशित नहीं की है, लेकिन पेंटागन के शीर्ष अधिकारियों ने इसकी प्रतियां पढ़ ली हैं। रिपोर्ट में किए गए खुलासे पर अमेरिकी कांग्रेस में चर्चा हो चुकी है।
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