Menu
blogid : 5736 postid : 6403

डेंगू का कहर

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

एक बार फिर देश के अनेक राज्य डेंगू की चपेट में हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली समेत अनेक राज्यों में डेंगू से पीडि़त लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कुल मिलाकर देश में हजारों लोग डेंगू की चपेट में हैं और अनेक काल के गाल में समा चुके हैं। हालांकि इस भयावह त्रासदी के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी है, लेकिन अभी भी इस बीमारी की रोकथाम के कार्यक्रम अनमने ढंग से चलाए जा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि आजादी के बाद आधी सदी बीत जाने के बाद भी जनता तड़प-तड़प कर मरने को विवश है और सरकारी अमला अपनी असफलता का ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ रहा है। 2003 में डेंगू की तीव्रता को देखते हुए इससे बचाव के तरीकों पर गंभीरता से विचार किया गया और इसे अधिसूचित बीमारियों की श्रेणी में रखा गया। इसके बाद मानवाधिकार आयोग ने भी जीवन रक्षा के बुनियादी हक को देखते हुए डेंगू के फैलाव को मानवाधिकारों का हनन माना, लेकिन इसके बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। इस बार डेंगू अपने भयावह रूप में एक बार फिर हमारे सामने है और सरकार के सारे दावे एवं योजनाएं बौनी साबित हो रही हैं।


Read:Sandy Hurricane: सैंडी के आगे अमरीका नतमस्तक


विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की करीब चालीस फीसद आबादी पर डेंगू का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल इस समय 250 करोड़ लोगो के एडीज एजिप्टी मच्छरों से होने वाले डेंगू और डेंगू रक्तFावी बुखार की चपेट में आने का जोखिम है। दुनिया में हाल के दशकों में डेंगू के मामले में जिस प्रकार तेजी आई है वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस समय अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के सौ से भी अधिक देश डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। डेंगू की कोई भी विशिष्ट विषाणुरोधी दवा उपलब्ध नहीं है। रोग के शीघ्र निदान व तत्काल रोगसूचक प्रबंधन से इस रोग से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। साथ ही मच्छर पैदा करने वाले Fातों के उन्मूलन जैसे कि घरों में और उसके आस-पास पानी एकत्र न होने देना, कूड़ा करकट हटाना, जलपात्रों को ढककर रखना तथा कूलर सप्ताह में एक बार साफ किया जाना आदि के माध्यम से भी इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। लेकिन स्थिति यह है कि अभी तक अनेक क्षेत्रों में एंटी लारवा स्प्रे ही नहीं हो पाया है। उत्तर प्रदेश में तो डेंगू कीे जांच की किट ही पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। इस मुददे का एक दुखद पहलू यह भी है कि सरकार और अस्पताल फजीहत से बचने के लिए इस बीमारी से मरने वाले लोगो की संख्या छुपाते हैं।


हालांकि हाल ही में वैज्ञानिकों ने अभिग्राहियों के दो वगरें का पता लगाया है जो डेंगू को मनुष्य की कोशिकाओं में प्रवेश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस खोज के साथ ही इस जानलेवा बीमारी के नए इलाज की संभावनाएं उभर रही हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस अध्ययन ने डेंगू विषाणु के संक्रमण चक्र के पहले महत्वपूर्ण चरण को समझने में मदद की है। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने विषाणुओं द्वारा कोशिका में प्रवेश के लिए उपयोग किए जाने वाले अभिग्राहियों की पहचान के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग का उपयोग किया। आज भी देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, लेकिन वहां उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं शहरों के मुकाबले 15 प्रतिशत भी नहीं हैं। हकीकत यह है कि अधिकांश चिकित्सक शहरी क्षेत्रों में ही काम करना पसंद करते हैं। इसलिए गांवों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव रहता है। अब समय आ गया है कि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग इस घातक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कोई ठोस एवं सार्थक पहल करे।


लेखक रोहित कौशिक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


Read:क्यों बहक जाते हैं जवानी में कदम !!


Tag:Dengue, India, Uttar Pradesh, Delhi, World Health Organization, Asia, Africa, डेंगू, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, सरकारी , मानवाधिकारों ,  विश्व स्वास्थ्य संगठन, एडीज एजिप्टी, अंतरराष्ट्रीय, एशिया ,  अफ्रीका, अमेरिका

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh