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कश्मीर के दो चेहरे

जागरण मेहमान कोना
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जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से हो जाने के बाद उसका एक भाग भारत के नियंत्रण में और दूसरा पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया। एलओसी के इधर और उधर के कश्मीर के हालात पर नजर डालने से चौंकाने वाला दृश्य उपस्थित होता है। इससे पाकिस्तान के इस दावे की भी धज्जियां उड़ जाती हैं कि कश्मीर के लोग भारत से अलग होना चाहते हैं। भारत में जम्मू-कश्मीर राज्य तीन क्षेत्रों पर आधारित है। जम्मू क्षेत्र, कश्मीर क्षेत्र और लद्दाख क्षेत्र। केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर के विकास पर काफी पैसा खर्च किया जाता है ताकि यहां के लोग खुशहाल जीवन बिता सकें। जम्मू-कश्मीर में 1947 से पहले मुट्ठी भर लोग ही पढ़े-लिखे थे, जबकि अधिकतर लोग अनपढ़ थे क्योंकि उन दिनों शिक्षा प्राप्त करने के साधन बहुत कम थे। इस स्थिति को देखते हुए सरकार की ओर से शिक्षा के विकास के लिए गांव-गांव स्कूल खोले गए ताकि बच्चे घर के नजदीक शिक्षा प्राप्त कर सकें।


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जब हमारे नौजवान अपनी शिक्षा पूरी कर लेते थे तो उन्हें प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए देश के दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता था और ऐसे में अधिकतर अमीर लोगों के बच्चे ही प्रशिक्षण प्राप्त कर पाते थे, लेकिन अब हमारी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कालेज, एग्रिकल्चर कॉलेज के अतिरिक्त कई संस्थान खोल रखे हैं। यहां गरीब परिवारों के बच्चे भी शिक्षा प्राप्त करके बड़े-बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। 1947 से पहले जम्मू-कश्मीर में गिने-चुने अस्पताल हुआ करते थे, जबकि इलाज करने वाले डॉक्टर भी बहुत कम संख्या में थे इसलिए दूसरे राज्यों से डॉक्टर लाए जाते थे। दूर-दराज रहने वाले गरीब लोग इलाज न होने की स्थिति में अपनी जान से हाथ धो बैठते थे, लेकिन अब राज्य में जगह-जगह अस्पताल खो दिए गए हैं और बड़े-बड़े डॉक्टर लोगों के इलाज के लिए लगाए गए हैं। यही नहीं अब यहां के डॉक्टर देश के दूसरे राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राज्य में सड़कों का जाल बिछाया गया है और दूरदराज के गांवों तक सड़कें पहुंचाई गई हैं, जिससे लोगों को आवागमन में सुविधा हो गई है। दूसरी ओर राज्य का वह हिस्सा जो पाकिस्तान के कब्जे में है वहां विकास नहीं के बराबर है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र का हमेशा गलत इस्तेमाल किया है।


क्षेत्र में पाकिस्तान ने आतंकवाद के शिविर लगा रखे हैं। यह क्षेत्र विकास के लिए नहीं बल्कि आतंकियों की नर्सरी के रूप में जाना जाता है। इस इलाके का जबरदस्त शोषण हो रहा है। वहां जो बिजली पैदा होती है वह पाकिस्तान के कई इलाकों में पहुंचाई जाती है। यही नहीं गिलगित का क्षेत्र चीन को उपहार के रूप में दे दिया गया है। जो अलगाववादी कश्मीर में बैठकर पाकिस्तान का गुणगान करते हैं और आजादी की बात करते हैं। उन्हें किस बात की आजादी चाहिए। भारत के नियंत्रण वाला कश्मीर तो आजाद है, अलबत्ता पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर को आजाद बनाने की जरूरत है। हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कश्मीर का तीन दिन का दौरा किया। अपने दौरे के दौरान उन्होंने डल झील की सैर की। हजरतबल जाकर राज्य के लोगों के लिए शांति की दुआ की। इसके अलावा उन्होंने श्रीनगर से लाल चौक में कुछ खरीददारी भी की। एक सूचना के अनुसार पाकिस्तान में अभी भी 42 आतंकवादी कैंप चल रहे हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में 800 के आसपास आतंकवादी मौजूद हैं। सुरक्षाबलों की मौजूदगी की वजह से वह कोई बड़ी कार्रवाई अंजाम देने में नाकाम हैं। कुछ लोग जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार अधिनियम को हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन गृहमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी यह अधिनियम नहीं हटाया जा सकता।


लेखक रमेश गुप्ता स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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