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आर्मस्ट्रांग की स्वीकारोक्ति

जागरण मेहमान कोना
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अमेरिकी टीवो के टॉक शो में ओपरा विन्फ्रे के सामने साइकिलिस्ट लांस ऑर्मस्ट्रांग की डोपिंग यानी प्रतिबंधित दवाओं के सेवन की स्वीकारोक्ति के बाद खेलों में नैतिकता का संकट और गहरा गया है। कैंसर को मात देने के बाद 1999 से 2005 तक लगातार सात बार टुअर द फ्रांस का खिताब अपने नाम करने वाले ऑर्मस्ट्रांग पूरी दुनिया के प्रेरणाFोत बन गए थे। भारत के क्रिकेटर युवराज सिंह भी उन्हें अपना आदर्श कहते रहे हैं। ऑर्मस्ट्रांग को अपने किए की सजा मिल रही है। सबसे ताजा कार्रवाई में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने उनसे वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक में जीता कांस्य पदक छीन लिया है। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग यूनियन भी उन्हें डोपिंग का दोषी करार देते हुए टुअर द फ्रांस के सातों खिताब उनसे पहले ही छीन चुकी है। अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग यूनियन ने भी एक अगस्त 1998 के बाद के उनसे वे सारे खिताब भी छीन लिए जो उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में जीते थे। इसके अलावा उन पर किसी भी अंतरराष्ट्रीय साइकिल प्रतियोगिता में भाग लेने पर आजीवन पाबंदी लगा दिया गया है। अमेरिका की एंटी डोपिंग एजेंसी भी उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा चुकी है। डोपिंग के आरोपों के बाद आर्मस्ट्रॉंग को अपने नाम से बनी वह फाउंडेशन भी छोड़नी पड़ी है जिसे उन्होंने 1997 में कैंसर से मुक्त होने के बाद इस बीमारी के खिलाफ जंग को आगे बढ़ाने के लिए बनाया था। अमेरिका की डोपिंग रोधी एजेंसी ने पिछले साल 41 वर्षीय ऑर्मस्ट्रांग पर साइकिलिंग के इतिहास में सबसे जटिल, पेशेवर और सफल डोपिंग का आरोप लगाया था। ओपरा विन्फ्रे के शो में उन्होंने यह कहा कि वर्ष 2005 के बाद से उन्होंने प्रतिबंधित दवाओं का सेवन नहीं किया है। शो में उन्होंने अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा कि मैंने एक बड़ा झूठ बोला और उसके बाद उसे लगातार दोहराता रहा।


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इसमें संदेह नहीं कि आजकल बहुत से खिलाड़ी अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए प्रतिबंधित दवाओं का सेवन कर रहे हैं। प्रतिबंधित दवाओं की डोज लेने के अलावा वे ब्लड डोपिंग (यानी किसी प्रतियोगिता से ठीक पहले प्रयोगशाला में सुरक्षित रखवाया गया अपना रक्त चढ़वाना जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता में इजाफा हो जाए) और जीन डोपिंग जैसे आधुनिक चोर रास्तों का इस्तेमाल कर डोप टेस्ट (प्रतिबंधित दवाओं के सेवन आदि की धरपकड़ की जांच) से बचने का प्रयास कर रहे हैं। कोच खुद ऐसी दवाएं खिलाडियों को देते हैं। इस मामले में प्रख्यात वेट लिफ्टर और बेलारूस के कोच लियोनिद तारानेंको का नाम उल्लेखनीय है, जिन पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपनी टीम के खिलाडियों को जानबूझकर प्रतिबंधित दवाएं दी थीं। धाविका सुनीता रानी को भी नेंड्रोलॉन नामक दवा के सेवन के संदेह में बुसान एशियाड के दो पदकों की वापसी तक काफी जलालत सहनी पड़ी थी। ऑस्ट्रेलिया में 2006 में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खेल बिरादरी को तब शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ा था, जब दो भारतीय वेटलिफ्टर डोपिंग के दोषी पाए गए। एडविन राजू और तेजिंदर सिंह के दो नमूनों को व‌र्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की जांच में पॉजिटिव पाया गया था। हाल के दशक में क्रिकेट जैसे जेंटलमैन खेल में भी डोपिंग ने जोर पकड़ा है। कुछ वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी शेन वॉर्न को डोपिंग का दोषी पाया गया था और उन पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध भी लगा था। उस वक्त वॉर्न ने कंधे की चोट का हवाला देकर प्रतिबंधित दवा ड्यूरेटिक्स श्रेणी की हाइड्रोक्लोरोथायजाइड और एमिलोराइड टेबलैट्स लेने की बात कहकर डोपिंग के आरोप से बचने की कोशिश की थी, पर उनकी दलील सही नहीं मानी गई थी। वॉर्न के अलावा इयान बाथम, डियोन नैश, एडम परोरे, शेन थॉम्प्सन, मैथ्यू हार्ट, फिल टफेल और डी. स्पेंसर जैसे कई क्रिकेटर पहले ही इस मामले में पकड़ में आ चुके थे। शोएब अख्तर और मोहम्मद आसिफ समेत कई पाकिस्तानी क्रिकेटर भी ऐसी अनैतिक कोशिशों में फंसे पाए गए।


लेखक अभिषेक कुमार सिंह स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं



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Tags:Doping Armstrong, Armstrong, Cycle, साइकिलिस्ट लांस ऑर्मस्ट्रांग, ऑर्मस्ट्रांग , साइकिलिस्ट, अमेरिका

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