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अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का छात्र जेकब बोहेम अपने दोस्तों के साथ जापान घूमने गया उसके बाकी साथी लौट आए, लेकिन वह दक्षिण एशिया के देश घूमने निकल पड़ा। 13 अगस्त को उसने गूगल प्लस पर संदेश प्रसारित किया कि वह मलयेशिया में है। इसके बाद सात दिनों तक उसका कोई संदेश सोशल नेटवर्किग साइट पर नहीं आया। हालांकि वह लगातार फेसबुक व दूसरी सोशल साइट्स पर स्टेटस अपडेट कर रहा था। चिंतित माता-पिता ने उसके 12 दोस्तों को ई-मेल भेजे। दोस्तों की कोशिश से सोशल नेटवर्किग साइट पर जैकब को खोजने की मुहिम छिड़ गई। फेसबुक पर उसकी खोज को समर्पित एक पेज के 5000 लोगों ने एक झटके में सदस्यता ली।
सेनफ्रांसिस्को इलाके में ट्विटर पर जैकब बोहेम ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया। फेसबुक पर जैकब के पेज की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक पूर्व छात्र ने सदस्यता ली जो अब मलयेशिया में रहता है। एक अन्य शख्स ने जैकब की क्लोजअप तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की। फेसबुक में इंटर्नशिप कर रही एक लड़की ने अपनी कंपनी को इस बात के लिए राजी किया कि वह मलयेशिया में फेसबुक पर जैकब की खोज के लिए मुफ्त में विज्ञापन प्रसारित करे। इसी बीच फेसबुक पर जैकब संबंधी एक और पेज बनाए जिस पर आशंकाओं और दुआओं के दौर चल पड़े। लोनली प्लेनेट के लिए मलेशिया पर चर्चित पुस्तक लिख चुके सेलेस्टे ब्रैश ने इस पेज को देखा तो उन्हें मालूम पड़ा कि जैकब की आखिरी सूचना जिस गांव जेरानटट से आई थी वह वहां के राष्ट्रीय जंगल तमन नेगारा का प्रवेश द्वार है। उन्होंने लिखा मुमकिन है कि जैकब जंगल में खो गया हो। मलेशिया के सैकड़ों लोगों ने ट्विटर पर बताया कि जंगल में जाने के लिए परमिट और गाइड की आवश्यकता होती है। वहां नेट या फोन नहीं चलता और वहां खोने का डर है। इसके बाद कोशिशें तेज हुई। अंतत: काफी मशक्कत के बाद रेंजर्स ने जैकब को खोज निकाला।
वर्ष 2009 में भी इसी तरह का एक वाक्या सामने आया था। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड एक स्कूली छात्र ने खुदकुशी की कोशिश की। फेसबुक पर अपने स्टेटस मैसेज के रूप में उसने सुसाइड नोट लिखा। उसने लिखा-मैं अब बहुत दूर जा रहा हूं, वो करने जिसके बारे में मैं काफी वक्त से सोच रहा था। अब लोग मुझे खोजेंगे। अमेरिका में बैठी छात्र की ऑनलाइन मित्र ने इस संदेश को पढ़ा तो दंग रह गई। उसे नहीं मालूम था कि छात्र ब्रिटेन में कहां रहता है? लड़की ने अपनी मां को इस बारे में फौरन बताया। मां ने मैरीलेंड पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने व्हाइट हाउस के स्पेशल एजेंट से संपर्क साधा और उसने एक झटके में वाशिंगटन में ब्रिटिश दूतावास के अधिकारियों से। उन्होंने ब्रिटेन के मेट्रोपोलिटन पुलिस से संपर्क किया और इस बीच छात्र के घर का पता लगाकर थेम्स वैली के पुलिस अधिकारी उसके घर जा पहुंचे। पुलिस अधिकारियों के पहुंचने से पहले छात्र नींद की कई गोलियां निगल चुका था। उसके मुंह से खून आ रहा था। आनन-फानन में छात्र को अस्पताल पहुंचाया गया जहां आखिरकार उसकी जान बच गई। हाल में इटली में फेसबुक की वजह से एक बच्चा 22 साल बाद अपने संबंधियों से मिल सका। 1987 को एलेक्स एनफूसो का अपहरण हो गया था। उस वक्त वह पांच साल का था।
अपहरणकर्ता बच्चे को अपने साथ ले गया। उसका नाम बदल दिया गया। अपहरणकर्ता ने बच्चे की देखरेख के लिए एक महिला को रखा जो अरबी बोलती थी। एलेक्स अब 28 साल का है। उसके पास न तो इटली का बर्थ सर्टिफिकेट था और न ही रेजीडेंट्स प्रूफ। उसने फेसबुक का सहारा लिया और उन लोगों से संपर्क करना शुरू किया जिनका सरनेम एनफूसो था। उसने हजारों लोगों को मैसेज भेजा। इस दौरान पीनो एनफूसो ने संपर्क किया जो एक चैनल में टेक्निशियन था, लेकिन उसका रिश्तेदार नहीं था। उसकी कहानी सुनकर इमोशनल रूप से उससे जुड़ गया। उसकी कहानी अपने फेवरेट शो में प्रसारित की और अंतत: परिवार वाले मिल गए। इस तरह की कई कहानियां अब सामने आ रही हैं तो बड़ा सबक यह है कि फेसबुक और दूसरी सोशल नेटवर्किग साइट्स पर प्रोफाइल जरूर बनाया जाए। भले ही आप ज्यादा सक्रिय न रहें।
इस आलेख के लेखक पीयूष पांडे हैं
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